📰 दो ड्रोन से हुआ क्लाउड सीडिंग का प्रयोग, वैज्ञानिकों ने बताया- राजस्थान के जल संकट के लिए बन सकता है बड़ा समाधान।
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में रविवार को मौसम विज्ञान एवं जल संसाधन विभाग द्वारा किया गया कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) का प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। यह ऐतिहासिक प्रयोग रामगढ़ बांध क्षेत्र में किया गया, जहां दो ड्रोन की मदद से बादलों में वर्षा बीज (cloud seeding material) छोड़े गए। इसके बाद लगभग 40 मिनट तक लगातार बारिश हुई।
🌧️ कैसे हुआ प्रयोग
इस प्रयोग के लिए विशेष रसायन (सिल्वर आयोडाइड एवं सोडियम क्लोराइड कण) तैयार कर ड्रोन से बादलों में छोड़े गए। ड्रोन उड़ान के तुरंत बाद आसपास के बादल सक्रिय हुए और तेज़ बारिश शुरू हो गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि बादलों में नमी की मात्रा पहले से ही पर्याप्त थी, लेकिन यह तकनीक उन्हें वर्षा करने के लिए प्रेरित करती है।
🌿 किसानों और शहरवासियों के लिए बड़ी राहत
जयपुर और आसपास के इलाकों में लंबे समय से बारिश की कमी महसूस की जा रही थी। कृत्रिम वर्षा के इस प्रयोग से किसानों की उम्मीदें फिर से जगी हैं, वहीं शहरवासियों ने भी राहत की सांस ली। रामगढ़ बांध, जो कई वर्षों से सूखा पड़ा था, उसमें पानी की आवक होने की संभावना बढ़ गई है।
🔬 वैज्ञानिकों का बयान
प्रयोग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक अब बड़े पैमाने पर उपयोगी साबित हो सकती है।
- यदि मानसून के दौरान पर्याप्त बारिश न हो, तो कृत्रिम वर्षा तकनीक से जल संकट कम किया जा सकता है।
- इसके लिए मौसम की स्थिति, बादलों की ऊँचाई और नमी का स्तर उपयुक्त होना ज़रूरी है।
🌍 भविष्य की योजना
राजस्थान सरकार और मौसम वैज्ञानिकों की टीम इस प्रयोग के बाद अब अन्य जिलों में भी ऐसे प्रयास करने की योजना बना रही है। यदि लगातार सफल परिणाम मिलते हैं, तो आने वाले समय में राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाकों में यह तकनीक जल संरक्षण का बड़ा उपाय बन सकती है।
👉 यह खबर राजस्थान के लिए एक नई उम्मीद और तकनीकी प्रगति की मिसाल है।
Author: News & PR Desk
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