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रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के बाद बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी टीम में नया खिलाड़ी शामिल, अक्षर पटेल या युजवेंद्र चहल नहीं

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भारतीय क्रिकेट टीम ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के लिए रविचंद्रन अश्विन के स्थान पर एक युवा खिलाड़ी को शामिल किया है। अश्विन ने ब्रिस्बेन टेस्ट के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की थी। स्पोर्टस्टार की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के युवा स्पिन ऑलराउंडर तनुष कोटियन को टीम में शामिल किया गया है। कोटियन मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया रवाना होंगे।

26 वर्षीय तनुष कोटियन ने अब तक कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है। उन्होंने 33 फर्स्ट क्लास मैचों में 101 विकेट लिए हैं और 1525 रन बनाए हैं, जिसमें दो शतक शामिल हैं। 20 लिस्ट ए मैचों में उन्होंने 20 विकेट और 33 टी20 मैचों में 33 विकेट हासिल किए हैं। कोटियन पहले भी भारत ए टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर चुके हैं।

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “कोटियन को सुरक्षा उपाय के तौर पर शामिल किया गया है और टीम के नंबर को बनाए रखने के लिए लाया गया है। वह तभी खेलेंगे जब वाशिंगटन सुंदर या रविंद्र जडेजा चोटिल हो जाएं।”

कोटियन ने हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई के लिए खेलते हुए हैदराबाद के खिलाफ नाबाद 39 रन बनाए और दो विकेट लिए। उन्हें मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर भी शानदार अनुभव है, जहां उन्होंने भारत ए के लिए नंबर 8 पर बल्लेबाजी करते हुए 44 रन बनाए थे।

दरअसल, पहले अक्षर पटेल को टीम में शामिल किया जाना था, लेकिन परिवारिक कारणों से उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी के पहले दो मैचों के बाद ब्रेक लेने का अनुरोध किया था।

अश्विन ने ब्रिस्बेन टेस्ट के बाद अचानक अपने संन्यास की घोषणा कर दी, जिससे सभी चौंक गए। 38 वर्षीय अश्विन ने अपने करियर को भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज के रूप में समाप्त किया। वह 12 साल से भी अधिक समय तक भारत की घरेलू क्रिकेट में दबदबा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते रहे।

बीसीसीआई ने अश्विन को दी भावुक विदाई
बीसीसीआई ने शुक्रवार को अश्विन के लिए एक श्रद्धांजलि वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में खुद से किया एक बड़ा वादा याद किया।

2012 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में हार के बाद अश्विन बेहद निराश हुए थे। उस सीरीज में अश्विन ने 14 विकेट लिए थे, लेकिन उनकी औसत 52.64 रही थी और वह इंग्लैंड के मोंटी पनेसर और ग्रीम स्वान तथा अपने साथी प्रज्ञान ओझा से पीछे रह गए थे।

अश्विन ने बीसीसीआई वीडियो में कहा, “2012 में हमने एक सीरीज गंवाई थी। मैं अपने करियर के शुरुआती दौर में था और मैंने खुद से वादा किया कि हम अब से कभी भी घरेलू सीरीज नहीं हारेंगे। यह वादा मैंने खुद से किया था।”

अश्विन ने अपने इस वादे को निभाया और भारत को 12 साल तक घरेलू क्रिकेट में अजेय बनाए रखा। उनके संन्यास से भारतीय क्रिकेट को एक बड़ा झटका लगा है, लेकिन उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

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Author: News Desk

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