पटना: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) परीक्षा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस भर्ती प्रक्रिया में “हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है।” परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर उम्मीदवार करीब दो सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं।
क्या बोले प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर ने कहा, “उम्मीदवार कड़कड़ाती ठंड में, पुलिस की लाठीचार्ज और पानी की बौछारें झेलते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में हैं और मस्त समय बिता रहे हैं। जब पत्रकारों ने उनसे इस मुद्दे पर सवाल किया, तो उन्होंने एक भी शब्द नहीं कहा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं कल तक प्रदर्शनकारियों को कहता रहा कि मुख्यमंत्री इस पर कोई रुख अपनाएंगे जिससे गतिरोध खत्म हो सकता है। लेकिन उन्होंने चुप्पी साधे रखी।”
परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि बीपीएससी परीक्षा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा, “प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों का मानना है कि बीपीएससी नई परीक्षा कराने से इसलिए बच रहा है क्योंकि पहले ही करोड़ों रुपये के लेन-देन हो चुके हैं। 13 दिसंबर को हुई परीक्षा के तहत पदों को बेचा गया था।”
गौरतलब है कि बीपीएससी की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में 5 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने राज्य भर के 900 से अधिक केंद्रों पर परीक्षा दी थी। पटना के एक परीक्षा केंद्र पर सैकड़ों उम्मीदवारों ने प्रश्न पत्र “लीक” होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार किया। हालांकि, बीपीएससी ने इन आरोपों को “साजिश” करार दिया और 10,000 से अधिक उम्मीदवारों के लिए पुन: परीक्षा का आदेश दिया।
परीक्षा रद्द करने की मांग
प्रदर्शनकारी यह तर्क दे रहे हैं कि केवल कुछ उम्मीदवारों के लिए पुन: परीक्षा कराना “समान अवसर” के सिद्धांत के खिलाफ है। उनका कहना है कि पूरी परीक्षा रद्द की जाए और फिर से आयोजित की जाए।
विरोध पर राजनीतिक विवाद
प्रशांत किशोर को प्रदर्शनकारियों को समर्थन देने के बावजूद आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने उन्हें “विरोध स्थल से भागने” का आरोप लगाया, जबकि जदयू नेता नीरज कुमार ने उन्हें “राजनीतिक भगोड़ा” करार दिया।
स्वतंत्र सांसद पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर को “धोखेबाज” बताते हुए कहा कि उन्होंने छात्रों के आंदोलन को “बेच दिया।”
प्रशासन पर निशाना
प्रशांत किशोर ने कहा, “बिहार में हालात ऐसे हैं कि राज्य ऐसे लोगों द्वारा चलाया जा रहा है, जिनकी कोई जवाबदेही नहीं है। मुख्यमंत्री ने राज्य को रिटायर्ड अधिकारियों के एक गुट को सौंप दिया है, जो न तो जनता के प्रति जवाबदेह हैं और न ही सेवा नियमों से बंधे हैं।”
उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने की भी बात कही।
यह मामला बिहार में न केवल शिक्षा व्यवस्था बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

Author: News Desk
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