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संसद में एक हफ्ते के गतिरोध के बाद संविधान पर चर्चा पर बनी सहमति

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संसद में पिछले एक हफ्ते के गतिरोध के बाद सभी दलों ने अगले हफ्ते संविधान पर चर्चा करने पर सहमति बनाई है। यह चर्चा लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को तथा राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को होगी। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद के बाहर यह जानकारी दी।

सर्वदलीय बैठक में बनी सहमति

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद यह सहमति बनी। केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा, “संसदीय कार्यवाही बाधित करना अच्छा नहीं है। हम सभी विपक्षी नेताओं से अपील करते हैं कि इस समझौते का पालन करें और कल से संसद को सुचारू रूप से चलने दें।”

विंटर सत्र में व्यवधान

संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था, लेकिन बार-बार के व्यवधानों के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही जल्दी स्थगित करनी पड़ी। सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा।

विपक्षी दलों ने संविधान सभा द्वारा संविधान के अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए दोनों सदनों में चर्चा की मांग की थी।


संविधान बदलने के आरोपों पर बीजेपी का पलटवार

सत्तारूढ़ बीजेपी को विपक्ष के उन आरोपों का सामना करना पड़ रहा है कि मोदी सरकार 3.0 संविधान में बदलाव कर सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह ने इस दावे को कई बार खारिज किया है।
अमित शाह ने मई में कहा था, “हमारे पास पिछले 10 वर्षों से संविधान बदलने का जनादेश था, लेकिन हमने ऐसा कभी नहीं किया। जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं, क्या जनता उनके झूठ पर विश्वास करेगी? मोदी जी को संविधान बदलने के लिए पहले से ही पर्याप्त बहुमत मिला हुआ है, लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं किया।”


किरेन रिजिजू के बयान से फिर गरमाई बहस

हाल ही में संविधान दिवस (26 नवंबर) के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान एक स्थिर दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह एक यात्रा है जो समय के साथ बदलाव देखती है।
उन्होंने कहा, “संविधान सिर्फ एक किताब नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का तरीका है। समय-समय पर इस पर लोगों ने विचार दिए हैं और यह विचार रचनात्मक रहे हैं। कुछ बुनियादी सिद्धांत हैं, जिन्हें छूना नहीं चाहिए, लेकिन लोकतांत्रिक प्रणाली में कुछ भी स्थायी नहीं होता।”


विपक्ष के मुद्दे और मांगें

विपक्ष ने मणिपुर हिंसा, संभल हिंसा, बेरोजगारी, महंगाई और विपक्ष-शासित राज्यों को फंड में कथित भेदभाव जैसे मुद्दों को भी उठाने की मांग की है।
विशेष रूप से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने संसद में कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की है। हालांकि, टीएमसी ने विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की रणनीति बैठक में शामिल होने से परहेज किया और कांग्रेस के एजेंडे से खुद को अलग रखा।


बीजेपी का आरोप

बीजेपी ने कांग्रेस पर सत्ता में रहते हुए संविधान के सिद्धांतों और मूल्यों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। बीजेपी का दावा है कि मोदी सरकार ने अपने 10 साल के शासनकाल में संवैधानिक प्रक्रियाओं और सिद्धांतों को मजबूत किया है।


अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि संविधान पर चर्चा कैसे होती है और क्या यह संसद की कार्यवाही में सुचारूता ला पाएगी।

News Desk
Author: News Desk

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