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Bihar Voter List Revision Supreme Court – “बिहार मतदाता सूची संशोधन रद्द हो सकता है अगर…”: सुप्रीम कोर्ट

Bihar Voter List Revision Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बिहार की मतदाता सूची में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे “विशेष गहन संशोधन” के परिणाम, यदि प्रक्रिया में गैरकानूनीता साबित होती है, तो सितंबर तक (यानी विधानसभा चुनाव से करीब दो महीने पहले) रद्द किए जा सकते हैं।

यह टिप्पणी उस बहस के दौरान आई जिसमें यह सवाल उठा कि क्या चुनाव आयोग को नागरिकता साबित करने का अधिकार है। आयोग ने बिहार के मतदाताओं से अपनी पात्रता दोबारा सिद्ध करने के लिए 11 दस्तावेज मांगे थे, लेकिन आधार कार्ड और अपना पहचान पत्र स्वीकार नहीं किया।

चुनाव आयोग का तर्क था कि आधार केवल पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं, और यह आसानी से जाली भी बनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि आधार नागरिकता का पुख्ता सबूत नहीं है, लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनका मुद्दा प्रक्रिया की गैरकानूनीता और आयोग के अधिकार क्षेत्र को लेकर है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, जो राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा की ओर से पेश हुए, ने कहा, “नागरिकता देने या छीनने का अधिकार गृह मंत्रालय के पास है, न कि चुनाव आयोग के पास।”

उन्होंने कहा, “आयोग कहता है कि आधार नागरिकता तय करने के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन उन्हें नागरिकता तय करने का अधिकार ही नहीं है। मतदाता सूची में नाम की पुष्टि केवल पहचान के आधार पर होनी चाहिए, न कि नागरिकता पर संदेह के आधार पर।”

इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि गैर-नागरिकों को मतदाता सूची से बाहर रखना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। सिंघवी ने जवाब दिया, “यदि मैं नागरिक नहीं हूं तो नाम हटाया जा सकता है, लेकिन अगर मैं पहले से सूची में हूं, तो आयोग कैसे तय करेगा?”

कोर्ट ने तब कहा, “अगर वे पांच करोड़ लोगों को अमान्य घोषित कर देंगे, तो हम यहां मौजूद हैं।”

हालांकि यह कोई अंतिम फैसला नहीं था, लेकिन यह टिप्पणी विपक्ष के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है, जो इस संशोधन की संवैधानिक वैधता और कानूनी आधार को चुनौती दे रहा है।

विपक्ष का आरोप है कि यह संशोधन प्रक्रिया एक “बहाना” है, जिसके तहत लाखों हाशिये के समुदायों के लोगों—जो परंपरागत रूप से कांग्रेस या उसके सहयोगियों को वोट देते हैं—को मतदाता सूची से हटाया जा रहा है। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम “मतदाता सूची को शुद्ध” करने और मृत, बाहर चले गए या डुप्लीकेट पंजीकरण वाले नाम हटाने के लिए उठाया गया है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि आयोग ने भाजपा के साथ मिलकर मतदाता धोखाधड़ी की साजिश रची है, जैसे कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में हुआ। भाजपा ने पलटवार करते हुए इन आरोपों को चुनावी हार का बहाना करार दिया।

चुनाव आयोग के अनुसार अब तक 65 लाख से अधिक नाम, जिनमें नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश से आए लोग भी शामिल हैं, मतदाता सूची से हटाए जा चुके हैं।

News Desk
Author: News Desk

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