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Monsoon Session 2025 Parliament Productivity-मानसून सत्र बाधाओं के बीच समाप्त, लोकसभा में केवल 31% कामकाज

Monsoon Session 2025 Parliament Productivity

नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र, जो 21 जुलाई 2025 को शुरू हुआ था, गुरुवार को 32 दिनों में हुई 21 बैठकों के बाद समाप्त हो गया। बार-बार के हंगामों और व्यवधानों के कारण लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों की उत्पादकता बेहद कम रही। लोकसभा ने निर्धारित 120 घंटों में से केवल 37 घंटे काम किया, जबकि राज्यसभा 41 घंटे 15 मिनट ही चल सकी। इससे दोनों सदनों की उत्पादकता क्रमशः 31% और 38.8% दर्ज की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • विधेयक: लोकसभा में 14 नए विधेयक पेश किए गए और 12 पारित हुए। राज्यसभा ने 15 विधेयक पारित किए।

  • नए कानून: इस सत्र में राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक 2025 और ऑनलाइन गेमिंग के प्रोत्साहन एवं विनियमन विधेयक 2025 जैसे अहम कानून पास हुए। बंदरगाह और शिपिंग क्षेत्र को आधुनिक बनाने वाले पाँच प्रमुख समुद्री कानून भी मंज़ूरी पाए।

  • मणिपुर: राष्ट्रपति शासन को छह महीने बढ़ाने और राज्य का 2025-26 का बजट पारित किया गया।

  • संशोधन विधेयक: गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे मंत्रियों को अयोग्य ठहराने से जुड़े तीन अहम संशोधन विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजे गए।

विशेष बहसें:

  • ऑपरेशन सिंदूर (पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई) पर दो दिवसीय चर्चा हुई, जिसमें 130 से अधिक सांसदों ने हिस्सा लिया।

  • भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा और विकसित भारत 2047 के तहत अंतरिक्ष कार्यक्रम पर चर्चा शुरू हुई, लेकिन हंगामे के कारण अधूरी रह गई।

व्यवधान छाए रहे:

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने लगातार “सुनियोजित हंगामों” पर चिंता जताई।

  • लोकसभा में 419 में से केवल 55 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिए गए।

  • राज्यसभा में सिर्फ 14 प्रश्न और सात शून्यकाल प्रस्तुतियाँ हो सकीं।

ओम बिड़ला ने कहा, “जनता संसद से बहस की उम्मीद करती है, न कि तख्तियाँ और नारे। लगातार व्यवधान संसद की गरिमा का अपमान है।”

विदाई:

राज्यसभा ने तमिलनाडु से सेवानिवृत्त हो रहे छह सदस्यों को विदाई दी। वाणिज्य मंत्री ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर बयान दिया और उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति की जानकारी सदन को दी।

निष्कर्ष:

जहाँ सरकार ने खेल, गेमिंग, शिपिंग और कर सुधारों से जुड़े विधेयकों को अपनी उपलब्धि बताया, वहीं विपक्ष ने सरकार पर बहस रोकने का आरोप लगाया। दोनों सदनों की उत्पादकता 40% से भी कम रहने के बाद अब सभी की नज़र आगामी शीतकालीन सत्र पर है।

News Desk
Author: News Desk

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