कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह अवैध रेत खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में बड़ी कार्रवाई की। सुबह 6 बजे शुरू हुई इस छापेमारी में कोलकाता, उत्तर 24 परगना, झाड़ग्राम और मिदनापुर जिलों में 20 से अधिक ठिकानों पर तलाशी ली गई।
ईडी टीमों ने साल्ट लेक स्थित एक निजी कंपनी के दफ्तर, उसके शीर्ष अधिकारियों के घर और झाड़ग्राम के गोपीबल्लवपुर में एक कर्मचारी से जुड़े ठिकानों पर छापे मारे। कोलकाता के रीजेंट कॉलोनी इलाके में एक बीमा एजेंट के घर पर भी कार्रवाई हुई।
अवैध खनन के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार नदियों के किनारों से ब्लॉकों के ज़रिए रेत खनन की नीलामी करती है। लेकिन आरोप है कि ठेकेदार तय सीमा से अधिक रेत व नदी की तलछट निकालकर नकली चालानों के ज़रिए काले बाज़ार में बेचते हैं। कहा जा रहा है कि यह धंधा करोड़ों का है, जिस पर स्थानीय सिंडिकेट का कब्ज़ा है।
ममता बनर्जी सरकार ने 2021 में एक नई रेत खनन नीति लाई थी। तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि अवैध खनन से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है और प्राकृतिक संसाधन लूटे जा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अधिकारी या नेता, कोई भी इस धंधे में शामिल हुआ तो बख्शा नहीं जाएगा।
ईडी की छापेमारी के बाद इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया। भाजपा ने टीएमसी नेताओं पर हमला बोला। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया, “यह बहुत बड़ा रैकेट है। सरकार को रेत खनन से 20 रुपये मिलते हैं जबकि 80 रुपये ‘भाईपो’ और उसकी टीम की जेब में जाते हैं। इसमें पुलिस के बड़े अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें मोटी रिश्वत दी जाती है। ईडी को जांच और तेज़ करनी चाहिए।”
वहीं, टीएमसी ने इसे 2026 विधानसभा चुनावों से जोड़ते हुए पलटवार किया। टीएमसी प्रवक्ता अरुप चक्रवर्ती ने कहा, “सबको पता है कि चुनाव आते ही ईडी और सीबीआई क्यों सक्रिय हो जाते हैं। छापेमारी असली अपराधियों को पकड़ने के लिए नहीं, बल्कि विपक्षी दलों के नेताओं को फंसाने के लिए होती है। भाजपा इन एजेंसियों का इस्तेमाल हथियार की तरह करती है।”
Author: News Desk
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