नई दिल्ली – प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के मुखिया और आतंकवाद के मामले में दोषी करार दिए गए यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक हलफनामे में चौंकाने वाले दावे किए हैं। इसमें उन्होंने पिछले दो दशकों के दौरान बड़े राजनीतिक और धार्मिक नेताओं से मुलाकातों और गुप्त बातचीत का उल्लेख किया है।
मलिक ने दावा किया है कि उनके घर श्रीनगर में कम से कम दो अलग-अलग मठों के शंकराचार्य कई बार आए और उनके साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। हालांकि, उन्होंने न तो शंकराचार्यों के नाम बताए और न ही तारीखें।
आरएसएस से मुलाकात का दावा
हलफनामे में मलिक ने कहा है कि उन्होंने 2011 में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आरएसएस नेताओं के साथ पांच घंटे लंबी बैठक की थी। यह बैठक सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकन्सिलिएशन (CDR) नामक थिंक-टैंक की मदद से हुई थी।
उन्होंने यह भी दावा किया कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के तत्कालीन चेयरपर्सन एडमिरल केके नायर ने उन्हें कई बार अपने आवास और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में लंच के लिए बुलाया।
वाजपेयी की रमज़ान सीजफायर से जुड़ाव
मलिक ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 2000-01 के रमज़ान सीजफायर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय दिल्ली में उनकी मुलाकात अजीत डोभाल, तत्कालीन आईबी निदेशक श्यामल दत्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्रा से कराई गई थी। इन अधिकारियों ने उनसे संघर्षविराम का समर्थन करने का आग्रह किया।
मलिक के अनुसार, उन्होंने पीओके में जेकेएलएफ महासचिव रफीक डार और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन से संपर्क साधकर सीजफायर का समर्थन कराने की कोशिश की। साथ ही, उन्होंने हुर्रियत नेताओं की बैठक बुलवाई, जिसमें सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी लोन सहित कई नेताओं ने वाजपेयी के सीजफायर का समर्थन किया, शर्त यह रखी कि इसके बाद बिना शर्त बातचीत होनी चाहिए।
पासपोर्ट और विदेश यात्राएं
मलिक का कहना है कि पहली बार उन्हें 2001 में पासपोर्ट मिला और वे अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और पाकिस्तान जैसे देशों में गए। वहां उन्होंने “अहिंसक लोकतांत्रिक संघर्ष” के जरिए कश्मीर समाधान पर भाषण दिए।
मनमोहन सिंह का जिक्र
हलफनामे में मलिक ने यह भी दावा किया कि 2006 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान उन्होंने हाफिज सईद और अन्य उग्रवादी नेताओं से मुलाकात की थी। यह मुलाकात, उनके अनुसार, भारतीय खुफिया अधिकारियों के कहने पर हुई थी। वापसी पर दिल्ली में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंहको ब्रीफ किया, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन भी मौजूद थे। मलिक का कहना है कि उस समय मनमोहन सिंह ने उन्हें “कश्मीर में अहिंसक आंदोलन का पिता” कहा था।
कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
गौरतलब है कि मलिक के इन दावों पर अब तक न तो किसी नेता और न ही किसी संगठन ने कोई प्रतिक्रिया दी है।
Author: News Desk
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