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GST Utsav Controversy-मोदी के ‘जीएसटी उत्सव’ ऐलान पर खड़गे का तंज: “गहरे घाव पर पट्टी”

GST Utsav Controversy

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जीएसटी दरों में कमी को ‘जीएसटी उत्सव’ की शुरुआत बताते हुए इसे जनता के लिए “डबल बोनस” करार दिया। उन्होंने अपने 19 मिनट के राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि 22 सितंबर से लागू होने वाले नए कर सुधार ‘अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार’ होंगे और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निर्णायक कदम साबित होंगे।

हालांकि, इस ऐलान के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने पीएम मोदी पर तीखा हमला बोला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आठ सालों की “आर्थिक चोटों” पर सिर्फ “पट्टी” लगाने की कोशिश कर रहे हैं। खड़गे ने एक्स पर हिंदी में पोस्ट करते हुए लिखा, “कांग्रेस के सरल और प्रभावी जीएसटी के बजाय आपकी सरकार ने 9 अलग-अलग स्लैब का ‘गब्बर सिंह टैक्स’ लगाया और आठ साल में 55 लाख करोड़ रुपये वसूले। अब आप 2.5 लाख करोड़ रुपये के ‘बचत उत्सव’ की बात कर रहे हैं। जनता नहीं भूलेगी कि आपने दाल, चावल, अनाज, पेंसिल, किताबें, इलाज और किसानों के ट्रैक्टर पर भी जीएसटी वसूला। आपकी सरकार को जनता से माफी मांगनी चाहिए।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा कि यह फैसला जीएसटी काउंसिल में राज्यों के सुझाव से हुआ है, फिर प्रधानमंत्री क्यों श्रेय ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने खुद कम जीएसटी की मांग की थी। हमारी ही सिफारिश पर यह हुआ है, लेकिन आप इसे अपनी पहल बता रहे हैं।”

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सापकाल ने भी मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि “2017 में वही प्रधानमंत्री थे जिन्होंने ऊंची जीएसटी दरें लागू कर उद्योगों, व्यापारियों और आम नागरिकों पर बोझ डाल दिया। इन सालों में जीएसटी कलेक्शन दोगुना होकर 22 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। अगर आज दरें घटाने का श्रेय मोदी ले रहे हैं तो उन्हें आठ साल की ‘लूट’ की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।” उन्होंने याद दिलाया कि राहुल गांधी ने शुरू से ही इसे “गब्बर सिंह टैक्स” करार दिया था।

वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष की आलोचना को “नकारात्मक और आधारहीन” बताते हुए पीएम मोदी के संबोधन को “जनता केंद्रित सुधार” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के संबोधन के नौ प्रमुख संदेश साझा किए, जिनमें गरीब, मध्यमवर्ग, किसान और युवाओं को लाभ, ‘नागरिक देवो भव’ का संदेश, आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी को बढ़ावा जैसे बिंदु शामिल थे।

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Author: News Desk

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