गुवाहाटी। असम के मशहूर गायक ज़ुबिन गर्ग के अचानक निधन ने पूरे राज्य को गहरे शोक में डुबो दिया। रविवार को हजारों लोग गुवाहाटी एयरपोर्ट से लेकर काहिलीपारा स्थित उनके घर तक 25 किलोमीटर लंबे रास्ते पर उमड़ पड़े। सिंगापुर से उनका पार्थिव शरीर शनिवार रात पहुंचा था, जहां वे तैराकी के दौरान दौरे के कारण डूब गए थे।
2006 में फिल्म गैंगस्टर का गाना ‘या अली’ ज़ुबिन गर्ग की आवाज़ में आया और देखते ही देखते यह एक पूरी पीढ़ी की पहचान बन गया। कॉलेज कैंटीन से लेकर रात की बस यात्राओं तक, यह गीत हर जगह गूंजा और ज़ुबिन ‘या अली वाले गायक’ से बढ़कर युवाओं के जीवन का हिस्सा बन गए।
उनकी मौत की खबर फैलते ही गुवाहाटी में जनजीवन थम गया। दुकानें बंद रहीं, सेवाएं ठप हो गईं और हर सड़क पर भीड़ उमड़ आई। एयरपोर्ट से फूलों से सजी एंबुलेंस जब निकली तो भीड़ इतनी बड़ी थी कि 25 किलोमीटर की दूरी तय करने में साढ़े पांच घंटे लग गए। हर उम्र के लोग रास्ते में खड़े होकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करते, फूल बरसाते और रोते नज़र आए। कई जगह दुकानों के सामने अगरबत्तियां जलाई गईं और छोटे-छोटे श्रद्धांजलि स्थल बनाए गए।
काहिलीपारा पहुंचने पर सुरक्षा बलों ने परिवार को निजी समय देने के लिए घेरा बनाया। वहां ज़ुबिन गर्ग का शव असमिया गमछे से ढका गया और कांच के ताबूत में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। उनके प्रिय खुले जीप वाहन में उनका बड़ा चित्र रखा गया और बैंड के साथी भी जुलूस में शामिल हुए। लोग ‘जय ज़ुबिन दा’ के नारे लगाते और उनके गीत गाते हुए साथ चलते रहे।
शहर ने इस दिन को “ब्लैक डे” की तरह मनाया। फैंस संगठनों के दबाव में सभी बाज़ार और रेस्टोरेंट बंद रहे। यहां तक कि ऑनलाइन डिलीवरी सेवाएं भी ठप हो गईं। कई लोगों ने इसे दिल से निकली श्रद्धांजलि बताया तो कुछ ने मजबूरी में बंदी पर सवाल उठाए।
ज़ुबिन गर्ग ने अपने तीन दशक लंबे करियर में 40 भाषाओं और बोलियों में 38,000 से अधिक गीत गाए। वे केवल एक गायक नहीं बल्कि असम की सांस्कृतिक पहचान थे, जिन्होंने राज्य की आवाज़ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री पबित्र मार्घेरिटा ने दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका पार्थिव शरीर रिसीव किया। गुवाहाटी एयरपोर्ट पर पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग रो पड़ीं और गमछा चढ़ाकर ताबूत से लिपट गईं।
राज्य सरकार उनके अंतिम संस्कार और स्मारक स्थल पर निर्णय लेने वाली है। गुवाहाटी के सोणापुर या जोरहाट को संभावित स्थल माना जा रहा है। लेकिन उनके वृद्ध पिता की यात्रा कठिनाई को देखते हुए अंतिम फैसला लंबित है।
असम ही नहीं, पूरे देश के लिए ज़ुबिन गर्ग का निधन एक अपूरणीय क्षति है। जैसे एक स्थानीय प्रशंसक ने कहा, “ज़ुबिन दा सिर्फ गायक नहीं थे, वे हमारे जीवन का हिस्सा थे। उनकी आवाज़ हमेशा हमारे दिलों में गूंजती रहेगी।”
Author: News Desk
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