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Tibet Leader Warning to India-तिब्बत के नेता ने दी चेतावनी: “चीन के ‘एलीट कैप्चर’ से सावधान रहे भारत, वरना देर हो जाएगी”

Tibet Leader Warning to India

नई दिल्ली। तिब्बत की निर्वासित सरकार के पूर्व राष्ट्रपति (सिक्योंग) डॉ. लोबसांग सांगे ने भारत को चेतावनी दी है कि चीन की “एलीट कैप्चर” रणनीति से देश अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजिंग लंबे समय से भारत के नेताओं, बुद्धिजीवियों और व्यावसायिक वर्ग को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।

एनडीटीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में डॉ. सांगे ने कहा, “एलीट को-ऑप्शन चीन की प्राचीन रणनीति है। वे नेताओं, पत्रकारों, व्यवसायियों, बुद्धिजीवियों और आजकल तो यूट्यूबर्स तक को खरीदते हैं। यही तरीका उन्होंने तिब्बत, शिनजियांग और मंगोलिया में अपनाया और अब भारत में भी आजमा रहे हैं।”

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के राष्ट्रीय दिवस समारोह में यह साफ देखा जा सकता है। “फोटो देखिए कि वहां कौन-कौन जाता है—राजनेता, उद्योगपति और अन्य प्रभावशाली लोग। सभी खरीदे हुए नहीं होते, लेकिन चीन लगातार कोशिश करता है।”

डॉ. सांगे ने भारत के पड़ोसी देशों का हवाला देते हुए कहा कि नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव में चीन ने शासक वर्ग के बीच गहरी पैठ बना ली है। पाकिस्तान में तो लगभग सभी राजनीतिक दल चीन समर्थक हैं। इसे ही “एलीट कैप्चर” कहा जाता है।

उन्होंने यूरोप के उदाहरण भी गिनाए, जहां कुछ मंत्रियों ने चीन की प्रशंसा की और बाद में चीनी कंपनियों में मोटी सैलरी वाली नौकरियां हासिल कर लीं। “कई को एक लाख डॉलर से लेकर 8.8 लाख डॉलर सालाना तक की तनख्वाह पर नौकरी मिली। यही चीन का प्रभाव खरीदने का तरीका है।”

भारत को सतर्क रहने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा, “सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, पत्रकार हों या उद्योगपति—सभी को सावधान रहना होगा। चीन को फर्क नहीं पड़ता कि वे किसे खरीदते हैं, बस उनका एजेंडा पूरा होना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि चीन की राजनीतिक चालें उसकी व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं, जिसमें भारत को घेरना शामिल है। “यही वजह है कि चीन मालदीव, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल को समर्थन देता है और संयुक्त राष्ट्र में भारत विरोधी आतंकी प्रस्तावों को रोकता है। उसका लक्ष्य दक्षिण एशिया में भारत को सीमित करना है।”

भारत-चीन के आर्थिक रिश्तों पर सवाल उठाते हुए डॉ. सांगे ने कहा, “भारत चीन से 113 अरब डॉलर का सामान खरीदता है और सिर्फ 14 अरब डॉलर का निर्यात करता है। यह 99 अरब डॉलर का घाटा है, जिसका मतलब है—कम फैक्ट्रियां, कम रोजगार और कमजोर विनिर्माण क्षेत्र। यह सिर्फ असंतुलन नहीं, खतरनाक स्थिति है।”

उन्होंने पश्चिमी देशों की उस सोच को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि चीन के साथ व्यापार से वहां लोकतंत्र आएगा। “30 साल तक यह भ्रम पालते रहे, लेकिन चीन लोकतांत्रिक नहीं हुआ, बल्कि और आक्रामक हो गया। भारत को वही गलती नहीं दोहरानी चाहिए।”

सीमा पर पहले से ही तनाव के बीच, डॉ. सांगे की यह चेतावनी भारत के लिए एक सख्त संदेश है कि चीन की चुनौती सिर्फ सैन्य नहीं बल्कि राजनीतिक और आर्थिक भी है। उन्होंने साफ कहा, “अगर आप सोचते हैं कि चीन के साथ जुड़कर फायदा उठा सकते हैं, तो आप गलत हैं। बीजिंग का खेल ‘एलीट कैप्चर’ है और भारत को इससे पहले ही बचाव करना होगा।”

News Desk
Author: News Desk

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