राजस्थान का अधिकांश हिस्सा रेगिस्तानी है, जहाँ पानी हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है। जल संरक्षण यहाँ केवल सुविधा नहीं बल्कि जीवन की बुनियादी ज़रूरत है। यही कारण है कि राज्य सरकार, सामाजिक संगठन और स्थानीय समुदाय इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
पारंपरिक जल स्रोत जैसे जोहड़, तालाब और बावड़ियाँ सदियों से जल संचयन का आधार रहे हैं। आज इन्हें पुनर्जीवित करने के अभियान चल रहे हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधार हो रहा है। साथ ही, वर्षा जल संचयन तकनीक को भी अपनाया जा रहा है ताकि बरसात के पानी को सुरक्षित रखा जा सके।
आधुनिक योजनाएँ जैसे पाइपलाइन परियोजनाएँ, चेकडैम और टैंकों का निर्माण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लाभकारी साबित हो रहा है। इससे न केवल पीने के पानी की समस्या हल हो रही है बल्कि कृषि और पशुपालन के लिए भी पानी उपलब्ध हो रहा है।
जल संकट का सीधा असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, क्योंकि खेती और पशुपालन यहाँ की रीढ़ हैं। इसलिए जल संरक्षण को जन आंदोलन का रूप दिया जा रहा है। लोग अब “पानी बचाओ–भविष्य बचाओ” अभियान से जुड़ रहे हैं।
अगर सरकार, समाज और लोग मिलकर काम करें तो आने वाले समय में राजस्थान जल संकट से बाहर निकल सकता है और रेगिस्तान भी हरियाली की मिसाल पेश कर सकता है।
Author: News Desk
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