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Rajasthani Language and Dialects-राजस्थान की भाषा और बोली की विविधता

Rajasthani Language and Dialects

राजस्थान भाषा और बोलियों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है। यहाँ की भाषाई विविधता राज्य की सांस्कृतिक एकता और परंपराओं को दर्शाती है।

राज्य में मुख्य रूप से राजस्थानी भाषा बोली जाती है, लेकिन इसके कई रूप हैं। हर क्षेत्र की अपनी विशिष्ट बोली है, जैसे — मारवाड़ी (जोधपुर, बाड़मेर), मेवाड़ी (उदयपुर), शेखावटी (सीकर, झुंझुनूं), ढूंढारी (जयपुर), हाड़ौती (कोटा, बूंदी), और मालवी (झालावाड़)। इन बोलियों की अपनी ध्वनि, शब्दावली और लहजा है।

राजस्थान की लोक संस्कृति में इन बोलियों का अमूल्य योगदान है। लोकगीत, दोहे, कहावतें और लोक कथाएँ इन्हीं भाषाओं में रची जाती हैं, जिससे ये आम जनता के जीवन से जुड़ी रहती हैं।

राजस्थानी भाषा की समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। सूर्यमल्ल मिश्रण, ईश्वरदान ख्यात, आणि मीरा बाई जैसे कवियों ने इसे गौरवशाली बनाया है। हाल के वर्षों में इस भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की माँग भी उठी है।

राज्य सरकार और विभिन्न सांस्कृतिक संस्थाएँ “राजस्थानी भाषा दिवस” मनाकर और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करके इसे बढ़ावा दे रही हैं।

भाषाई विविधता राजस्थान की आत्मा है। यह दर्शाती है कि भले ही राज्य के हर कोने में बोली बदलती है, परंतु एकता और गर्व की भावना सबको जोड़ती है। यह सांस्कृतिक विरासत आने वाली पीढ़ियों तक संरक्षित रहनी चाहिए।

News Desk
Author: News Desk

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