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Khadi and Handloom Rajasthan-राजस्थान में खादी और हैंडलूम को बढ़ावा: आत्मनिर्भरता की ओर कदम

Khadi and Handloom Rajasthan

राजस्थान, जो अपनी पारंपरिक कला, संस्कृति और हस्तशिल्प के लिए विश्व प्रसिद्ध है, अब खादी और हैंडलूम उद्योग को पुनर्जीवित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर खादी को न केवल फैशन का हिस्सा बना रही हैं, बल्कि इसे आत्मनिर्भर भारत (Self-Reliant India) के प्रतीक के रूप में भी स्थापित कर रही हैं।

राजस्थान में खादी उत्पादन का एक लंबा इतिहास रहा है। यहां के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं और कारीगर सदियों से हाथ से सूत कातने और बुनाई का कार्य करते आ रहे हैं। विशेष रूप से टोंक, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अजमेर और बाड़मेर जैसे जिलों में खादी उद्योग स्थानीय रोजगार का प्रमुख स्रोत है। हाल के वर्षों में सरकार ने खादी उत्पादन केंद्रों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया है, ताकि पारंपरिक कला को आधुनिक बाजार की मांगों के अनुरूप बनाया जा सके।

राजस्थान खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड ने नई योजनाओं के तहत खादी मार्केटिंग, ब्रांडिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को भी प्रोत्साहित किया है। अब उपभोक्ता सीधे ऑनलाइन पोर्टल्स के माध्यम से राजस्थान की खादी वस्त्र, बैग, जूते, और घरेलू उत्पाद खरीद सकते हैं। इससे न केवल बुनकरों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि उन्हें अपने उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान दिलाने का अवसर भी मिला है।

इसके साथ ही, राज्य में कई हैंडलूम प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं जहाँ नई पीढ़ी के युवा बुनाई, डिजाइनिंग और रंगाई की आधुनिक तकनीकें सीख रहे हैं। सरकार ने ‘खादी युवा रोजगार योजना’ भी शुरू की है जिसके तहत युवाओं को खादी उत्पादन और विपणन से जुड़ने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

खादी उद्योग पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ उत्पादन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। राजस्थान में इसे ग्रीन इकोनॉमी का हिस्सा बनाने के प्रयास जारी हैं। कई फैशन डिजाइनर अब खादी को आधुनिक परिधान डिजाइनों में शामिल कर रहे हैं, जिससे यह केवल परंपरा नहीं बल्कि एक ट्रेंड बन चुका है।

जयपुर और उदयपुर जैसे शहरों में आयोजित खादी फैशन शो और हैंडलूम एक्सपो इस उद्योग की नई दिशा को प्रदर्शित करते हैं। इससे ग्रामीण महिलाओं को भी स्वरोजगार के अवसर मिल रहे हैं और राज्य में महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।

राजस्थान का खादी और हैंडलूम क्षेत्र अब केवल एक उद्योग नहीं रहा, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है। आने वाले समय में यह क्षेत्र न केवल स्थानीय रोजगार बढ़ाएगा बल्कि राजस्थान की कला को वैश्विक मंच पर भी स्थापित करेगा।

News Desk
Author: News Desk

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