राजस्थान, जिसे “राजाओं की धरती” कहा जाता है, अपनी वीरता, संस्कृति और स्थापत्य कला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस राज्य के भव्य किले और महल न केवल इतिहास के साक्षी हैं, बल्कि ये भारत की यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में भी शामिल हैं, जो इनके ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व को दर्शाते हैं।
राजस्थान में स्थित कई किले — जैसे अमेर किला (जयपुर), चित्तौड़गढ़ किला, कुंभलगढ़ किला, रणथंभौर किला, गागरोन किला (झालावाड़) और जैसलमेर किला — 2013 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में “Hill Forts of Rajasthan” के नाम से शामिल किए गए थे। इन सभी किलों की अपनी एक अनूठी पहचान और कहानी है, जो राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को जीवंत बनाती है।
चित्तौड़गढ़ किला भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है, जो मेवाड़ की वीरता और त्याग की गाथाएं सुनाता है। वहीं कुंभलगढ़ किला, जिसकी दीवारें चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे लंबी हैं, अपने निर्माण की भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। अमेर किला अपनी सुंदरता, राजपूताना और मुगल वास्तुकला के मिश्रण और शीश महल के लिए मशहूर है।
जैसलमेर किला, जिसे “सोनार किला” कहा जाता है, थार रेगिस्तान के बीचोंबीच स्थित है और आज भी जीवित किले के रूप में जाना जाता है — जहां लोग रहते हैं, दुकानें चलती हैं और मंदिरों की घंटियां गूंजती हैं।
इन धरोहरों की खूबसूरती सिर्फ उनकी स्थापत्य कला में नहीं, बल्कि उनमें बसती राजस्थानी संस्कृति, लोककला और इतिहास की आत्मा में भी झलकती है। यूनेस्को द्वारा इन किलों को विश्व धरोहर घोषित किया जाना न केवल भारत के गौरव को बढ़ाता है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन देता है।
राजस्थान के ये किले न सिर्फ पत्थरों के बने स्मारक हैं, बल्कि ये साहस, संस्कृति और सभ्यता की अनमोल कहानियों के रक्षक हैं।
Author: News Desk
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