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साहित्यिक संवाद को जीवंत बनाती है पुस्तक -डॉ. सत्यनारायण

जयपुर। कलमकार मंच और पिंकसिटी प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में वरिष्ठ साहित्यकारों और पत्रकारों की मौजूदगी में दिनेश ठाकुर के ग़ज़ल संग्रह ‘ख़ामोशी इक मुश्किल फ़न है’, राजेश शर्मा के उपन्यास ’अत्रैव घुश्मेश्वरः यहीं है घुश्मेश्वर’, भागचन्द गुर्जर के नाट्य संग्रह ’ऊपरी हवा और अन्य नाटक’ और इन्दु सिन्हा ’इन्दु’ (रतलाम, मध्य प्रदेश) के कहानी संग्रह ’डिजिटल युग का डोकरा’ का लोकार्पण किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार डॉ. सत्यनारायण ने कलमकार मंच की निरंतर साहित्यिक सक्रियता की सराहना करते हुए कहा कि आज के समय में ऐसे मंचों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, जो लगातार रचनात्मक हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए लेखकों को सामने लाना और नई पुस्तकों का प्रकाशन करना पाठकों में पढऩे की संस्कृति को मजबूत करता है तथा साहित्यिक संवाद को जीवंत बनाए रखता है।


वरिष्ठ साहित्यकार फारुक आफरीदी ने कहा कि साहित्य में अच्छा लिखना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक उसे सुरुचिपूर्ण और पाठक-सुलभ रूप में प्रस्तुत करना भी है। उन्होंने इस संदर्भ में कलमकार मंच की सराहना करते हुए कहा कि मंच ने पुस्तक प्रस्तुति, डिजाइन और आयोजन की दृष्टि से कई नए आयाम स्थापित किए हैं। प्रकाशन के उपरांत पुस्तकों के लोकार्पण और चर्चा-परिचर्चा के आयोजन न केवल सराहनीय हैं, बल्कि अन्य साहित्यिक संस्थाओं के लिए प्रेरणास्पद भी हैं।
वरिष्ठ आलोचक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में हिंदी साहित्य की मौजूदा सृजनात्मक सक्रियता की ओर संकेत करते हुए कहा कि हिंदी में आज प्रचुर मात्रा में लेखन हो रहा है और पाठक वर्ग भी लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने प्रकाशक और लेखक के बीच संबंधों में पारस्परिक विश्वास की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि लेखक की रचनात्मक मेहनत का सम्मान होना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने सुझाव दिया कि प्रकाशक को अपने लाभ में से सम्मान-स्वरूप ही सही, लेखक को कुछ राशि अवश्य देनी चाहिए, ताकि यह रिश्ता अधिक पारदर्शी और विश्वासपूर्ण बन सके।
वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार विनोद भारद्वाज ने राजस्थान के साहित्यिक परिदृश्य में कलमकार मंच की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि कलमकार मंच ने अपनी शुरुआत से लेकर अब तक उल्लेखनीय यात्रा तय की है। उन्होंने बताया कि इस मंच के माध्यम से सैकड़ों पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है और अनेक नए लेखकों को साहित्यिक समाज में पहचान मिली है। यह कार्य न केवल साहित्य विस्तार का माध्यम है बल्कि नए रचनाकारों के लिए आत्मविश्वास का स्रोत भी है। कथाकार चरणसिंह पथिक ने अपने वक्तव्य में कहा कि नई पुस्तकों का आना साहित्यिक जगत में उत्सव सरीखा होता है। उन्होंने कहा कि किसी लेखक के लिए नई किताब का प्रकाशन परिवार में नए सदस्य के आगमन जैसा होता है, जिसमें खुशी, अपेक्षा और जिम्मेदारी तीनों जुड़ी होती हैं। उन्होंने कलमकार मंच की सराहना करते हुए कहा कि मंच द्वारा वर्ष में दो-तीन बार ऐसे आयोजन करना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, जो साहित्यिक वातावरण को निरंतर ऊर्जावान बनाए रखते हैं।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साहित्यकार लोकेश कुमार सिंह ’साहिल’, पत्रकार हरीश पाराशर, नवल पाण्डेय और रंगकर्मी दिलीप भट्ट ने किताबों पर समीक्षात्मक टिप्पणी की। समारोह में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चन्द छाबड़ा, प्रेमचन्द गांधी, फिल्मकार गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय ने भी अपने विचार व्यक्त किये। प्रेस क्लब के अध्यक्ष मुकेश मीणा ने आगन्तुकों का स्वागत और महासचिव मुकेश चौधरी ने आभार व्यक्त किया। कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशांत मिश्रा ने मंच संचालन किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा, गोविन्द चतुर्वेदी, जगदीश शर्मा, सिद्धार्थ भट्ट, जितेन्द्र सिंह शेखावत, सदाशिव श्रोत्रिय, सतीश शर्मा, आनंद विद्यार्थी, ओमेन्द्र मीणा, शंकर इंदलिया, महेश कुमार, जनित, उमा शर्मा, विनिता, नफीस आफरीदी, राजेश मिश्रा, संतोष शर्मा और चंद्रप्रकाश गुप्ता सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार और साहित्यप्रेमी मौजूद थे।

News & PR Desk
Author: News & PR Desk

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