1. पौराणिक उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सांवलिया सेठ मंदिर (Sanwaliya Ji Temple), जो चित्तौड़गढ़–उदयपुर राजमार्ग पर स्थित है, भगवान कृष्ण के ‘सांवलिया सेठ’ रूप को समर्पित है। 1840 ईस्वी में एक गोपाला (Bholaram Gurjar) को स्वप्न में तीन मूर्तियों के बारे में बताया गया—जब गाँव में खुदाई की गई, तो उन्होंने वही तीन मूर्तियाँ खोजी गईं, जैसा कि स्वप्न में था। इनमें से एक मूर्ति मंडफिया ले जाई गई, दूसरी भद्सोड़ा एवं तीसरी चापर के स्थान पर ही शिलापानि की गई। इन तीनों स्थल पर मंदिर बनाये गए; मंडफिया मंदिर प्रमुख स्थान बनकर उभरा, जिसे “सांवलिया जी धाम” कहा जाता है।
यह मंदिर राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित कई राज्यों से आने वाले भक्तों के लिए एक विशेष तीर्थस्थल बन चुका है।
2. वास्तुकला और धार्मिक महत्व
मंदिर पारंपरिक राजस्थानी शैली में बना हुआ है—श्वेत संगमरमर, सुंदर नक्काशी, गुंबद और शिखर इसकी विशेषता हैं। गर्भगृह में काले पत्थर की प्रभावशाली मूर्ति विराजित है, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
3. दर्शन और आरती का समय–सारणी
दर्शन समय (सामान्य दिनों में):
- सुबह: 5:00 AM से प्रारंभ
- दोपहर: 12:00 PM (राजभोग आरती)
- शाम: 7:30 PM (संध्या आरती)
- शयन आरती: 8:00 PM
- मंदिर बंद: 8:30 PM
पूर्णित समय सारिणी (सारांश):
- मंगल आरती – सुबह 5:30 बजे
- दर्शन आरंभ – सुबह 6:00 बजे
- राजभोग आरती – दोपहर 12:00 बजे
- संध्या आरती – शाम 7:30 बजे
- शयन आरती – रात 8:00 बजे, और इसके बाद मंदिर बंद – 8:30 बजे
विशेष सूचना:
— विशेष अवसर जैसे एकादशी, पूर्णिमा, जन्माष्टमी आदि पर मंदिर का समय बढ़ाया जाता है; भीड़ अधिक रहती है, अतः सुबह जल्दी पहुँचने की सलाह दी जाती है।
4. जाने का सही समय और सुझाव
- सुबह (5:00–8:00 बजे): शांतिपूर्ण दर्शन और आरती के लिए उत्तम समय।
- दोपहर (2:00–4:00 बजे): अपेक्षाकृत कम भीड़ और ध्यान के लिए अनुकूल वक्त।
- ठंडी ऋतुएँ (नवंबर से मार्च): यात्रा के लिए सर्वोत्तम मौसम।
- त्योहार (जन्माष्टमी, कार्तिक पूर्णिमा): हाईली सजावट, पर बहुत अधिक भीड़।
5. दूर-दराज़ से पहुंचने के संदर्भ में जानकारी
- चित्रौड़गढ़ से दूरी: लगभग 40 किमी; मंडफिया आसानी से सड़क मार्ग से जुड़ा है।
- उदयपुर से दूरी: लगभग 110 किमी (2.5–3 घंटे)
- भीलवाड़ा से दूरी: लगभग 75 किमी (1.5 घंटे)
निकटतम स्टेशन/हवाई अड्डा:
- यात्रा ट्रेन से — चित्रौड़गढ़ जंक्शन (~40 किमी)
- विमान से — उदयपुर (महाराणा प्रताप एयरपोर्ट) (~100 किमी)
रहने की व्यवस्था:
mandphia तथा आसपास धार्मिक भक्ताश्रम (dharamshala) उपलब्ध हैं; अन्यथा चित्रौड़गढ़ या उदयपुर में ठहरना सुविधाजनक रहेगा।
6. दान-दान और भक्तों की श्रद्धा
मंदिर “व्यापारियों का भगवान” भी कहलाता है—भक्त न केवल आर्थिक समस्या के समाधान की कामना करते हैं, बल्कि व्यापार में सफलता के लिए विशेष भेंट अर्पित करते हैं। पिछले महीनों (जून–जुलाई 2025) में मंदिर के खजाने में दैनिक करोड़ों रुपये का दान पहुँच रहा है, जिससे नया रिकॉर्ड बन सकता है।
एक असामान्य घटना में, किसी अज्ञात भक्त ने मंदिर में बंदूक और गोली चढ़ावा स्वरूप अर्पित की, जिसने सबको हैरान कर दिया—यह भक्ति के अजीब रूप और चर्चित श्रद्धा का संदर्भ रहा।
पहलू | विवरण |
---|---|
मंदिर का नाम और स्थिति | सांवलिया सेठ मंदिर, मंडफिया (चित्रौड़गढ़ जिला, राजस्थान) |
स्थापना | 1840 ई० (गोपाल स्वप्न द्वारा मूर्तियों का अनावरण) |
आस्था | व्यापार, धन, समस्या समाधान में विश्वास |
दर्शन समय | सुबह 5:00 से रात्रि 8:30 (अभिन्न आरती सारिणी सहित) |
उच्च श्रद्धा | दैनिक करोड़ों रुपये दान, अनोखे भेंट (जैसे बंदूक-गोली) |
यात्रा सुविधा | चित्रौड़गढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा से सड़क मार्ग द्वारा पंहुच |
मुख्य त्यौहार | जन्माष्टमी, पूर्णिमा, एकादशी—विशेष शृंगार और रात्रि दर्शन |
सांवलिया सेठ मंदिर राजस्थान का एक ऐसा तीर्थस्थल है जहाँ आस्था और श्रद्धा भक्ति के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विश्वास को भी प्रतिध्वनित करते हैं। न केवल कृष्ण की मूर्ति की पौराणिक उत्पत्ति, बल्कि दैनिक करोड़ों के दान और अनूठे भेंट प्रमाणित करते हैं कि यह धाम सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ व्यापार और विश्वास हाथ में हाथ डाले चलते हैं।
राजस्थान टीवी पर प्रकाशित होने हेतु यह लेख भक्तों, यात्रियों और सांस्कृतिक रुचि रखने वालों के लिए एक समृद्ध और सूचनात्मक स्रोत साबित होगा।
Author: News & PR Desk
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