बांग्लादेश में भारत विरोधी प्रदर्शनों के बीच अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की एक और भयावह घटना सामने आई है। मयमनसिंह जिले के भालुका उपजिला में एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और इसके बाद उसके शव को आग के हवाले कर दिया गया। मृतक की पहचान 30 वर्षीय दीपु चंद्र दास के रूप में हुई है। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस पर इस्लाम का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।
यह घटना ऐसे समय हुई है, जब बांग्लादेश में जुलाई विद्रोह के प्रमुख नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे हैं। इस मामले पर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए घटना की निंदा की है और कहा है कि “नए बांग्लादेश” में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। सरकार ने भरोसा दिलाया कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
सरकारी बयान में कहा गया,
“इस नाजुक समय में हम सभी नागरिकों से अपील करते हैं कि शहीद हादी के सम्मान में हिंसा, उकसावे और नफरत को खारिज करें और उसका विरोध करें।”
स्थानीय और प्रत्यक्षदर्शी सूत्रों के हवाले से बांग्लादेशी बंगाली अखबार बार्ता बाजार ने बताया कि दीपु चंद्र दास पर वर्ल्ड अरेबिक लैंग्वेज डे के अवसर पर फैक्ट्री में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था। यह आरोप तेजी से स्क्वायर मास्टरबाड़ी इलाके स्थित पायनियर निट कॉम्पोजिट फैक्ट्री और आसपास के क्षेत्रों में फैल गया, जिससे तनाव बढ़ गया।
बताया गया कि इसके बाद गुस्साई भीड़ ने दीपु की बेरहमी से पिटाई की, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हालात यहीं नहीं रुके। रिपोर्ट्स के अनुसार, भीड़ शव को बस स्टैंड इलाके में ले गई, रस्सी से पेड़ से बांधा, नारेबाजी करते हुए दोबारा पीटा और फिर आग लगा दी।
इसके बाद शव को ढाका–मयमनसिंह हाईवे पर ले जाकर एक बार फिर आग के हवाले कर दिया गया, जिससे यातायात बाधित हो गया और इलाके में दहशत फैल गई। घटना के बाद हाईवे पर कुछ समय के लिए ट्रैफिक रोकना पड़ा।
भालुका उपजिला के कार्यकारी अधिकारी एमडी फिरोज हुसैन ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि पैगंबर के अपमान के आरोप में एक व्यक्ति की हत्या की गई है और मृतक का शव फिलहाल पुलिस हिरासत में है।
बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना तेज
शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद शुक्रवार को बांग्लादेश के कई हिस्सों में तनाव फैल गया। हादी भारत के मुखर आलोचक और कट्टर इस्लामी नेता माने जाते थे। उनकी मौत के बाद हुए प्रदर्शनों में हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। प्रदर्शनकारियों ने डेली स्टार और प्रथम आलो जैसे प्रमुख मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया, साथ ही ढहाए जा चुके 32 धानमंडी स्थित उस भवन पर भी हमला किया, जो बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का घर था।
इस्लामी संगठनों ने इन अखबारों पर भारत से कथित नजदीकी का आरोप लगाते हुए हाल के महीनों में उनके दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन किए थे। उन्होंने शेख मुजीबुर रहमान और उनकी बेटी, अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना पर भी भारत समर्थक होने के आरोप लगाए।
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बने इंकिलाब मंच समूह ने भारत और पूर्व सरकार के खिलाफ विरोध अभियानों को तेज किया है। हसीना फिलहाल भारत में स्व-निर्वासन में रह रही हैं। इसी पृष्ठभूमि में भारत विरोधी भावना के बीच अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा ने एक बार फिर बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Author: News Desk
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