“जेल से सरकार नहीं चल सकती” : अमित शाह ने पेश किया ‘क्रिमिनल मिनिस्टर्स बिल’, संसद में हंगामा
नई दिल्ली: संसद में आज पेश किए गए तीन विधेयकों को लेकर जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इन्हें असंवैधानिक करार दिया और गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन के दौरान विधेयक की प्रतियां फाड़कर उन पर कागज़ के गोले फेंके।
गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि यह विधेयक आवश्यक है क्योंकि “आजकल सरकारें जेल से चलाई जा रही हैं।” उन्होंने बिना नाम लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला बोला। शाह ने कहा, “संविधान इस मुद्दे पर स्पष्ट नहीं है और जनता की अपेक्षाओं के साथ यह अन्याय है।”
विधेयक का उद्देश्य
यह बिल उन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को पद से हटाने का प्रावधान करता है जो गंभीर आरोपों में गिरफ़्तार होकर 30 दिनों से अधिक जेल में रहते हैं। शाह ने बीजेपी प्रवक्ताओं से कहा, “जनता जिन उम्मीदों से अपने प्रतिनिधियों को चुनती है, उनके साथ यह अन्याय है कि सरकार जेल से चलती रहे। संविधान में इस पर कोई स्पष्टता नहीं है, इसलिए यह कानून लाना जरूरी है।”
दिल्ली और तमिलनाडु का हवाला
शाह ने कहा कि पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं आई थी कि सरकारें जेल से चल रही हों। उन्होंने दिल्ली और तमिलनाडु के मामलों का ज़िक्र किया।
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तमिलनाडु में शशिकला नटराजन पर आरोप लगे थे कि वे जेल से ही सरकार को निर्देश दे रही थीं।
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वहीं, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति मामले में गिरफ़्तारी के बाद लगभग छह महीने जेल से ही सरकार चलाई थी।
संवैधानिक स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को इस्तीफा देने के लिए बाध्य करने से इनकार किया था और कहा था कि यह निर्णय उन्हीं को लेना होगा। वर्तमान कानून के अनुसार, मंत्री, सांसद या विधायक को केवल दोषसिद्धि होने पर ही पद छोड़ना पड़ता है। जबकि सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तारी के साथ ही निलंबित कर दिया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही जेल से सरकार चलाने पर कोई कानूनी रोक नहीं है, लेकिन व्यवहारिक रूप से यह संभव नहीं है।
विपक्ष का पलटवार
विपक्ष ने इस बिल को सरकार का राजनीतिक हथियार बताया।
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तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी ने कहा, “बीजेपी बिना जवाबदेही के सत्ता का आनंद लेना चाहती है। यह बिल विपक्ष की आवाज़ दबाने के लिए लाया गया है।”
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तृणमूल के कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि “ईडी और सीबीआई झूठे केस दर्ज करती हैं। केवल 0.5% मामलों में सज़ा होती है। यह असंवैधानिक है।”
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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि “यह विधेयक संविधान की मूल संरचना पर आघात है। इसमें दुरुपयोग की भारी संभावना है और यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है।”
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आप नेता सौरभ भारद्वाज ने इसे विपक्षी सरकारों को गिराने की साज़िश बताया। उन्होंने कहा, “अगर केजरीवाल इस्तीफा देते तो केंद्र बाकी आप नेताओं को भी झूठे मामलों में फंसा देता और दिल्ली सरकार गिरा दी जाती। यही साजिश अब भी चल रही है।”
Author: News Desk
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