नई दिल्ली: महाराष्ट्र में अगले मुख्यमंत्री का पद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास रहेगा, और उनके साथ दो उपमुख्यमंत्री होंगे, जिनमें से एक एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट से और दूसरा अजीत पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) गुट से होगा। सूत्रों ने बुधवार शाम को यह जानकारी दी।
यह व्यवस्था उस समझौते को दोहराती है, जो चुनाव से पहले किया गया था। हालांकि, इस बार बीजेपी ने पिछले सप्ताह हुए विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर मुख्य भूमिका हासिल कर ली है। बीजेपी ने अकेले 288 सीटों में से 132 सीटें जीतीं, जबकि अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर 235 सीटों पर कब्जा जमाया।
हालांकि, नए मुख्यमंत्री का नाम अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन देवेंद्र फडणवीस का नाम सबसे आगे माना जा रहा है। फडणवीस 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहे थे और 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद कुछ दिनों के लिए भी उन्होंने यह पद संभाला था।
पिछले समझौते के तहत एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री थे, जबकि फडणवीस और अजीत पवार उपमुख्यमंत्री थे।
चुनाव परिणामों के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा तेज हो गई थी। हालांकि, बीजेपी और शिंदे गुट दोनों ने किसी भी विवाद की संभावना से इनकार किया। फडणवीस ने कहा, “यह पहले दिन से तय था कि चुनाव के बाद तीनों दलों के नेता साथ बैठकर निर्णय लेंगे।” वहीं, शिंदे ने कहा, “हमने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और तीनों दल मिलकर निर्णय लेंगे।”
लेकिन इन बयानों के बावजूद मुख्यमंत्री पद को लेकर कयासबाजी जारी रही। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन में मुख्यमंत्री + 2 उपमुख्यमंत्री का फॉर्मूला अपनाया जाएगा।
बुधवार को एकनाथ शिंदे ने भी अटकलों को खत्म करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय में कोई बाधा नहीं डालेंगे। शिंदे ने कहा, “मैंने पीएम मोदी से कहा कि मैं कोई बाधा नहीं बनूंगा। जो भी फैसला होगा, हम उसका समर्थन करेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “कोई नाराज नहीं है” और “मुझे किसी पद का लालच नहीं है।”
फडणवीस, शिंदे और अजीत पवार गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे।
हालांकि, शिंदे गुट के कुछ सदस्यों ने यह दावा किया था कि बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का वादा किया था। यह दावा 2019 के चुनाव के बाद के विवाद की याद दिलाता है, जब बीजेपी और शिवसेना (तब एकजुट) ने चुनाव जीता था, लेकिन मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर अलग हो गए थे।
उस समय उद्धव ठाकरे ने शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलाकर सरकार बनाई थी। इसके बाद 2022 में शिवसेना और 2023 में एनसीपी में विभाजन हुआ, जिसके बाद उनके गुटों ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर उद्धव ठाकरे की सरकार को गिरा दिया।
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