90 साल पुराने विमान अधिनियम को बदलेगा “भारतीय वायुवान विधेयक, 2024”
पिछले सत्र में संसद के लोकसभा में “भारतीय वायुवान विधेयक, 2024” को अगस्त 2024 में पारित किया गया था।
मंगलवार को केंद्रीय विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने राज्यसभा में एक नया विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य 90 साल पुराने विमान अधिनियम को बदलना है।
विधेयक को चर्चा और पारित करने के लिए पेश करते हुए, श्री नायडू ने बताया कि यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) की सिफारिश पर लाया गया है, जिसमें मुख्य अधिनियम में बदलाव करने की बात कही गई थी।
उन्होंने कहा, “हमने इस विधेयक में सभी प्रावधानों को सुव्यवस्थित किया है, जिसमें डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) जैसे संगठनों की शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। यह ICAO द्वारा सुझाए गए निर्देशों के अनुसार है।”
विमानन क्षेत्र के विकास पर जोर
श्री नायडू ने बताया कि विमानन क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की बड़ी संभावना है, जिसे और अधिक विस्तारित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से बढ़कर 2024 तक 157 हो गई है। इसके अलावा, विमानों की संख्या भी 400 से बढ़कर 813 हो चुकी है।
उन्होंने यह भी बताया कि पहले के अधिनियम में केवल विमान रखरखाव का उल्लेख था, लेकिन नए कानून में डिज़ाइन और निर्माण को भी परिभाषित किया गया है। साथ ही, एक अपील प्रणाली भी लागू की गई है।
नए विधेयक की ज़रूरत
मंत्री ने बताया कि अक्सर अधिनियम के नियमों में संशोधन किए जाते थे, लेकिन इसके लिए मुख्य अधिनियम का समर्थन आवश्यक था। इसी वजह से मुख्य अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “हम अधिनियम के तहत नियमों को मजबूत कानूनी समर्थन प्रदान कर रहे हैं।”
नए हवाई अड्डों की मांग
श्री नायडू ने यह भी कहा कि आज हर कोई अपने जिले में हवाई अड्डा चाहता है।
“हम उन सपनों को साकार करना चाहते हैं। हम नए हवाई अड्डों का निर्माण करना चाहते हैं। लेकिन अगर आज हम इसे नहीं कर पाए, तो यह भविष्य में बड़ी चुनौती बन जाएगा क्योंकि भूमि की उपलब्धता कम हो रही है,” उन्होंने कहा।
विधेयक के अन्य उद्देश्य
यह विधेयक मौजूदा विमानन कानूनों के बीच की विसंगतियों को दूर करने और एक संगठित नियामक ढांचा प्रदान करने का प्रयास करता है। इसके अलावा, यह विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने, अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित करने और “उड़ान को आसान” बनाने के लक्ष्य को पूरा करेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने इस बात पर सवाल उठाया कि विधेयक का नाम हिंदी में क्यों रखा गया है, जबकि 60% आबादी हिंदीभाषी नहीं है।
उन्होंने इसे एक “बहिष्करणात्मक प्रवृत्ति” करार दिया और कहा कि गैर-हिंदीभाषी लोगों के लिए इसे समझना मुश्किल हो सकता है।
उन्होंने यह भी पूछा कि नागरिक विमानन क्षेत्र में एजेंसियों की स्वायत्तता कितनी होगी।
“सरकार की हर चीज़ का केंद्रीकरण करने की प्रवृत्ति चिंता का विषय है। DGCA या BCAS के आदेश के खिलाफ अपील केवल केंद्र सरकार के पास होगी। इसके खिलाफ कोई अन्य अपील नहीं की जा सकेगी। ऐसे में यह देखना बाकी है कि ये एजेंसियां कितनी पेशेवर और स्वतंत्र रूप से काम कर पाएंगी,” उन्होंने कहा।
निष्कर्ष
नया विधेयक भारत के विमानन क्षेत्र को नए आयाम प्रदान करने का वादा करता है। यह न केवल एक मजबूत कानूनी ढांचा स्थापित करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार देश के विमानन क्षेत्र को एक नई दिशा देने में मदद करेगा।
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