भोपाल गैस त्रासदी में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 3,928 लोगों की मौत हुई, लेकिन कार्यकर्ताओं का दावा है कि मृतकों की संख्या 10,000 से अधिक थी।
भोपाल गैस त्रासदी के बाद संयंत्र में जमा 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को अब मध्य प्रदेश के पिथमपुर में स्थानांतरित किया जाएगा। यह कचरा 2 और 3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से लगभग 30 टन मेथिल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव के बाद जमा हुआ था। यह त्रासदी अब तक की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना मानी जाती है।
विशेष ग्रीन कॉरिडोर से होगा कचरे का परिवहन
अधिकारियों के अनुसार, जहरीले कचरे को 250 किमी लंबे “ग्रीन कॉरिडोर” के जरिए भोपाल से पिथमपुर तक ले जाया जाएगा। इस रास्ते में भोपाल, सीहोर, देवास, इंदौर और धार जिलों को शामिल किया गया है। परिवहन के दौरान कचरे को ले जाने वाले वाहन स्पिल-कंट्रोल तंत्र से लैस होंगे।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि भोपाल-इंदौर हाईवे को कचरे के परिवहन के दौरान सील कर दिया जाएगा। इस दौरान ट्रक अधिकतम 60 किमी प्रति घंटे की गति से चलेंगे।
पैकिंग और लोडिंग की प्रक्रिया
रविवार को जहरीले कचरे की पैकिंग और ट्रकों पर लोडिंग का काम शुरू हुआ। भोपाल गैस राहत और पुनर्वास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रक्रिया में 36 घंटे से अधिक का समय लगा। प्रत्येक कंटेनर में 30 मीट्रिक टन जहरीला कचरा भरा गया।
इस काम में 250 कर्मचारियों को पीपीई किट पहनाकर तैनात किया गया। प्रत्येक शिफ्ट में 30 मिनट का काम किया गया, जिसके बाद दो से तीन घंटे का ब्रेक दिया गया। इस दौरान एक मेडिकल टीम ने लगातार कर्मचारियों के स्वास्थ्य की निगरानी की, और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु गुणवत्ता पर नजर रखी।
पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अहम कदम
भोपाल गैस राहत और पुनर्वास विभाग के आयुक्त स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा, “भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को हटाने का काम पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।”
पिथमपुर में स्थित कॉमन हैजर्डस वेस्ट ट्रीटमेंट, स्टोरेज एंड डिस्पोजल फैसिलिटी (CHW-TSDF) का उपयोग कचरे को सुरक्षित और कुशलता से नष्ट करने के लिए किया जाएगा।
तीन चरणों में कचरे का निपटान
सिंह ने बताया कि यह सुविधा तीन चरणों में कचरे का निपटान सुनिश्चित करती है:
- रोटरी किल्न: 850°C से 1200°C तक की गर्मी में कचरे का निपटान।
- सेकेंडरी कंबशन चैंबर: 99.99% दक्षता के साथ वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों को नष्ट करना।
- वेस्ट फीडिंग सिस्टम: तरल और ठोस कचरे को प्रभावी तरीके से जलाने के लिए।
इसके अतिरिक्त, संयंत्र में वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण (APCD) और एक पैक्ड बेड स्क्रबर का उपयोग किया गया है, जो एसिडिक गैसों को निष्क्रिय करता है।
भविष्य के लिए संरक्षित प्रणाली
सिंह ने बताया कि पिथमपुर सुविधा में एक उन्नत सुरक्षित लैंडफिल सुविधा (SLF) भी है, जिसमें नष्ट न होने वाले कचरे का निपटान किया जाएगा। यह प्रणाली भूजल की सुरक्षा के लिए बहु-स्तरीय लाइनर और जियोसिंथेटिक्स से लैस है।
यह कदम भोपाल गैस त्रासदी की विरासत से निपटने और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
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