नई दिल्ली: शनिवार को भारत ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता का स्वागत किया। हालांकि इस वार्ता से यूक्रेन में युद्धविराम पर कोई समझौता नहीं हो पाया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि विश्व समुदाय चाहता है कि इस संघर्ष का जल्द अंत हो।
अलास्का में करीब तीन घंटे तक चली यह बैठक फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच हुई पहली शिखर वार्ता थी। बैठक के बाद ट्रंप और पुतिन ने बयान जारी किए लेकिन पत्रकारों से सवाल नहीं लिए और न ही यह स्पष्ट किया कि आगे शांति स्थापित करने के लिए कौन-सा रास्ता अपनाया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, *“भारत अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनके नेतृत्व की सराहना की जानी चाहिए। भारत मानता है कि आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकलेगा।”*
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर ज़ेलेंस्की के स्वतंत्रता दिवस पर भेजे शुभकामना संदेश का उत्तर देते हुए कहा कि भारत और यूक्रेन के बीच और गहरे रिश्ते कायम हों। मोदी ने लिखा, *“हम अपने यूक्रेनी मित्रों के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि से भरे भविष्य की कामना करते हैं।”*
ज़ेलेंस्की ने अपने संदेश में भारत की जनता और नेतृत्व को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए उम्मीद जताई थी कि भारत युद्ध खत्म करने के प्रयासों में अहम योगदान देगा।
ट्रंप ने वार्ता के बाद कहा कि कई मुद्दों पर सहमति बनी है, लेकिन कुछ विषयों पर अभी तक समाधान नहीं निकला। पुतिन ने भी संकेत दिया कि दोनों पक्ष यूक्रेन की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि दोनों नेताओं ने विस्तृत जानकारी साझा नहीं की।
भारत ने इस बैठक पर करीबी नज़र रखी, क्योंकि ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी। अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 25% टैरिफ लगाया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूसी तेल खरीदकर मुनाफा कमा रहा है और अप्रत्यक्ष रूप से रूस के युद्ध प्रयासों को सहारा दे रहा है।
वार्ता से पहले ट्रंप ने रूस को 8 अगस्त तक युद्धविराम के लिए समयसीमा दी थी और कहा था कि युद्ध समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका सीधे *“शांति समझौता”* करना है, न कि केवल युद्धविराम।
ट्रंप और ज़ेलेंस्की सोमवार को वाशिंगटन में मिलने वाले हैं और संभावना है कि इसके बाद पुतिन को शामिल कर त्रिपक्षीय बैठक भी हो। ज़ेलेंस्की ने कहा, “यूक्रेन शांति स्थापित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा। अमेरिका की ताक़त का इस दिशा में असर होना ज़रूरी है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू से ही दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने की अपील की है। पिछले वर्ष उन्होंने रूस और यूक्रेन की अलग-अलग यात्राएँ की थीं और कहा था कि “बंदूक की छाया में वार्ता संभव नहीं है और युद्ध के मैदान में समाधान नहीं खोजा जा सकता।”
भारत ने अब तक रूस की निंदा नहीं की है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार, नई दिल्ली ने कई मौकों पर मास्को और कीव के बीच संदेश पहुंचाने की भूमिका निभाई है।
Author: News Desk
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