स्थायी अवैध निर्माण पर प्रशासन की चुप्पी से बढ़ा असंतोष, अस्थाई ठेले-थड़ी वाले हर बार बच निकलते हैं
जयपुर। राजधानी के परकोटे और रामगंज जैसे ऐतिहासिक वाणिज्यिक क्षेत्रों में अतिक्रमण एक गंभीर और पुराना मुद्दा बन चुका है। यहां अस्थाई ठेले-थड़ी से लेकर स्थायी अवैध निर्माण तक ने बाजार और सड़कों की रफ्तार रोक दी है। परिणामस्वरूप, आमजन को रोजाना जाम, असुविधा और असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
कार्रवाई क्यों हो रही विफल?
हेरिटेज नगर निगम की ओर से समय-समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाती है। लेकिन यह कार्रवाई स्थायी समाधान नहीं बन पा रही। कुछ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कार्रवाई से पहले ही सूचना अतिक्रमणकारियों तक पहुँच जाती है। इससे ठेले और थड़ी वाले सामान समेटकर भाग निकलते हैं और निगम की पूरी कवायद बेकार चली जाती है।
स्थायी कब्जों पर प्रशासन मौन
स्थायी अतिक्रमण सबसे बड़ी चिंता का विषय है। दुकानों के बरामदे, अवैध रूप से बढ़ाए गए छज्जे और छतों पर बने ढांचे वर्षों से खुलेआम खड़े हैं। बावजूद इसके उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे प्रशासन की कार्यशैली और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि गरीब फुटपाथ विक्रेताओं के खिलाफ तो निगम सख्ती दिखाता है, मगर बड़े और प्रभावशाली स्थायी कब्जाधारियों पर कार्रवाई ढीली पड़ जाती है।
समाधान क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रशासन वास्तव में शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाना चाहता है तो—
- तकनीकी निगरानी (सीसीटीवी और ड्रोन सर्वे),
- स्थानीय नागरिक समितियों की भागीदारी,
- और समयबद्ध एवं निरंतर कार्रवाई आवश्यक है।
साथ ही प्रशासन को राजनीतिक और आंतरिक दबावों से मुक्त होकर निष्पक्ष कार्रवाई करनी होगी। अन्यथा अतिक्रमण हटाओ अभियान केवल दिखावा बनकर रह जाएगा और जयपुर की ऐतिहासिक धरोहरें अव्यवस्था की भेंट चढ़ती रहेंगी।
Author: News & PR Desk
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