प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बिहार के पूर्णिया में नेशनल मखाना बोर्ड का शुभारंभ किया। केंद्र सरकार ने मखाना सेक्टर के विकास के लिए करीब ₹475 करोड़ के पैकेज को मंजूरी दी है। यह बोर्ड मखाना उत्पादन, प्रोसेसिंग और निर्यात को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगा।
बोर्ड की भूमिका
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, बोर्ड का मुख्य फोकस उत्पादन मानकों को बढ़ाना, फसल कटाई के बाद प्रबंधन में सुधार, नई तकनीकों का इस्तेमाल, वैल्यू एडिशन, मार्केटिंग और निर्यात कड़ियों को मजबूत करना होगा। इसके साथ ही यह बोर्ड किसान-उत्पादक संगठनों को समर्थन देगा और मखाना किसानों को विभिन्न केंद्रीय योजनाओं तक पहुंच दिलाएगा।
पीएम मोदी का मखाना प्रेम
लॉन्चिंग के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने मखाना को एक हेल्थ फूड और निर्यात योग्य उत्पाद बताया। उन्होंने कहा, “मैं साल के 365 दिनों में से कम से कम 300 दिन मखाना खाता हूं। यह एक सुपरफूड है, जिसे हमें वैश्विक बाजार तक पहुंचाना होगा।”
क्या है मखाना – ‘ब्लैक डायमंड’
मखाना (Euryale ferox का बीज) एक जलीय फसल है, जो दक्षिण और पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। इसके बीज पहले गहरे रंग के होते हैं और भूनने पर सफेद हो जाते हैं। इसी वजह से इसे ब्लैक डायमंड भी कहा जाता है। भारत में खासकर मिथिला क्षेत्र का मखाना सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है।
क्यों कहा जाता है सुपरफूड
भुना हुआ मखाना कम कैलोरी और कम वसा वाला होता है। इसमें पादप-आधारित प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, ग्लूटेन-फ्री और वेगन-फ्रेंडली है, जिससे स्वास्थ्य-जागरूक उपभोक्ताओं में इसकी मांग बढ़ रही है।
मखाना उत्पादन की प्रक्रिया
मखाना स्थिर तालाबों और आर्द्रभूमियों में उगाया जाता है। किसान पानी में उतरकर कांटेदार फलियों से बीज निकालते हैं। इन्हें सुखाने और ऊंचे तापमान पर भूनने के बाद सफेद दाने तैयार होते हैं। यह प्रक्रिया श्रम-प्रधान है और स्थानीय ज्ञान पर आधारित है, जो बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्र के हजारों परिवारों की आजीविका का आधार है।
निर्यात और बाजार विस्तार
भारत के कुल मखाना उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा बिहार से आता है। जीआई टैग प्राप्त मिथिला मखाना अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पहुंच रहा है। हाल ही में 7 मीट्रिक टन मखाना न्यूजीलैंड, कनाडा और अमेरिका भेजा गया। इससे पहले मखाना की खेप UAE और अन्य पश्चिमी देशों को भी निर्यात की जा चुकी है।
बिहार के लिए आर्थिक अवसर
मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, किशनगंज और अररिया जैसे जिले मखाना उत्पादन के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वैल्यू चेन को औपचारिक रूप देने, ग्रेडिंग और पैकेजिंग में सुधार और मजबूत ब्रांडिंग से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और मिथिला मखाना को प्रीमियम निर्यात उत्पाद के रूप में पहचान मिलेगी।
सरकार की 475 करोड़ रुपये की योजना के तहत प्रोसेसिंग यूनिट्स को आधुनिक बनाने, बेहतर भंडारण और पैकेजिंग सुविधाएं विकसित करने तथा किसान सहकारी समितियों को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।
Author: News Desk
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