राजस्थान की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है, जहाँ लगभग 65% जनसंख्या खेती पर निर्भर है। राज्य के भौगोलिक स्वरूप और जलवायु की विविधता के कारण यहाँ खेती चुनौतीपूर्ण है, लेकिन किसानों ने परिश्रम और नवाचार से इस कठिनाई को अवसर में बदला है।
राजस्थान की मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, सरसों, बाजरा, चना और मूँग हैं। इन फसलों की खेती कम पानी में भी संभव है, इसलिए इन्हें सूखा-रोधी फसलें कहा जाता है। सरकार ने “राजस्थान कृषि नीति” के माध्यम से किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई, सोलर पंप, जैविक खेती और फसल बीमा योजना ने किसानों के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं। “राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय” और “कृषि विज्ञान केंद्र” किसानों को प्रशिक्षण और अनुसंधान से जोड़ रहे हैं। इससे उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ लागत भी कम हुई है।
राजस्थान में अब स्मार्ट खेती (Smart Farming) की ओर भी कदम बढ़ रहे हैं। सेंसर, ड्रोन और एआई तकनीक का उपयोग फसल की निगरानी, सिंचाई प्रबंधन और मिट्टी की गुणवत्ता जांच में किया जा रहा है। इससे खेती अधिक उत्पादक और टिकाऊ बन रही है।
इसके अलावा, जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। अलवर, सीकर और नागौर जिलों में किसान जैविक उत्पादों का उत्पादन कर विदेशी बाजारों में भी निर्यात कर रहे हैं।
हालाँकि, जल की कमी और भूमि की उर्वरता में गिरावट अभी भी चुनौती है। इसके समाधान के लिए सरकार “जल स्वावलंबन योजना” और “कृषि मिशन 2040” जैसे कार्यक्रम चला रही है।
राजस्थान की कृषि आज परंपरा और तकनीक के संगम का उदाहरण बन चुकी है। यदि यही रफ्तार जारी रही, तो राज्य आने वाले वर्षों में “स्मार्ट एग्रीकल्चर मॉडल” के रूप में पूरे देश के लिए प्रेरणा बन जाएगा।
Author: News Desk
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