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Renaming of MGNREGA-मनरेगा का नाम बदलने पर विवाद, शशि थरूर बोले– ‘महात्मा गांधी की विरासत का अपमान न करें’

Renaming of MGNREGA

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलने को लेकर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मनरेगा का नाम बदलना “दुर्भाग्यपूर्ण” है और इससे महात्मा गांधी की विरासत का अपमान होता है। कांग्रेस के साथ-साथ ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इस फैसले के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, जिससे संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ने के आसार हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शशि थरूर ने लिखा कि ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी एक-दूसरे के विरोधी नहीं रहे, बल्कि ये गांधीजी की सोच के दो मजबूत स्तंभ थे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण गरीबों के लिए बनी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना इस गहरे तालमेल की अनदेखी है। थरूर ने यह भी कहा कि गांधीजी के अंतिम शब्द ‘राम’ थे, इसलिए ऐसी कोई कृत्रिम विभाजन रेखा खींचना उनकी विरासत को ठेस पहुंचाने जैसा है।

थरूर ने बाद में स्पष्ट किया कि उनकी आपत्ति पूरे विवाद से नहीं, बल्कि महात्मा गांधी का नाम हटाने से है। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को ध्यान से पढ़ा जाए तो यह बात साफ हो जाती है।

सरकार के प्रस्ताव के अनुसार अब मनरेगा का नाम बदलकर “विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)” किया जाएगा, जिसका संक्षिप्त रूप VB G RAM G बताया गया है। हालांकि पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि योजना का नाम “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना” रखा जाएगा, जिस पर ज्यादा विरोध नहीं हुआ था। लेकिन संसद में पेश बिल में नए नाम के सामने आने के बाद विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले पर हमला बोलते हुए कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में गांधीजी का नाम मिटाने की कोशिश उन लोगों की खोखली सोच को दर्शाती है, जो विदेशों में बापू को श्रद्धांजलि देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि गरीबों के अधिकारों से पीछे हटने वाली सरकार ही मनरेगा जैसी योजनाओं पर हमला कर रही है और कांग्रेस संसद से लेकर सड़कों तक इसका विरोध करेगी।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सवाल उठाया कि आखिर महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नाम बदलने से सरकारी कागजी कार्यवाही और स्टेशनरी पर भारी खर्च होगा और संसद में जरूरी मुद्दों पर चर्चा के बजाय समय और जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है।

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि पहले भाजपा को नेहरू और इंदिरा गांधी से दिक्कत थी और अब बापू से समस्या हो रही है। उन्होंने सरकार से नाम बदलने के बजाय मनरेगा के तहत समय पर भुगतान, काम के दिनों में बढ़ोतरी और योजना में सुधार पर ध्यान देने की मांग की।

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने भी इसे गांधीजी का अपमान बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी ऐसा कभी स्वीकार नहीं करेगी।

वर्तमान में मनरेगा एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है, जिसमें अकुशल मजदूरी का 100 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार वहन करती है। नए विधेयक के तहत खर्च साझा करने का प्रस्ताव है, जिसमें अधिकांश राज्यों के लिए 60:40, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत खर्च केंद्र द्वारा उठाने की बात कही गई है। इस बदलाव के साथ ही नाम परिवर्तन को लेकर राजनीतिक बहस और तेज हो गई है।

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Author: News Desk

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