नई दिल्ली/ढाका: Sharif Osman Hadi Murder Case को लेकर बांग्लादेश एक बार फिर भारत पर आरोप लगाने की कोशिश करता नजर आ रहा है, जबकि भारत इन दावों को पहले ही सिरे से खारिज कर चुका है। इसके बावजूद बांग्लादेशी पुलिस ने दोबारा यह दावा किया है कि कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के आरोपी भारत के मेघालय भाग गए हैं।
ढाका के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एसएन मोहम्मद नज़रुल इस्लाम ने मीडिया को बताया कि हत्या के दो मुख्य आरोपी—फैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख—स्थानीय सहयोगियों की मदद से भारत के मेघालय राज्य में दाखिल हुए। बांग्लादेशी अख़बार द डेली स्टार के अनुसार, पुलिस का दावा है कि आरोपी हलुआघाट सीमा के रास्ते भारत पहुंचे और वहां एक व्यक्ति के संपर्क में आए, जिसके बाद एक टैक्सी चालक उन्हें तुरा शहर ले गया।
गौरतलब है कि 32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी को 12 दिसंबर को ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान सिर में गोली मारी गई थी। गंभीर हालत में उन्हें सिंगापुर एयरलिफ्ट किया गया, जहां 18 दिसंबर को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
भारत ने इन आरोपों को सख्ती से खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि हत्यारों का भारत से कोई संबंध नहीं है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने 14 दिसंबर को जारी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रेस नोट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि भारत इन आरोपों को “पूरी तरह नकारता है”।
MEA के बयान में कहा गया, “भारत हमेशा बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय चुनावों के पक्ष में रहा है। भारत ने कभी भी अपनी ज़मीन का इस्तेमाल बांग्लादेश के हितों के खिलाफ होने वाली गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया है।”
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखे और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करे, ताकि देश फिर से निर्वाचित सरकार के शासन में लौट सके।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार के कार्यकाल में बांग्लादेश में कट्टरपंथ और इस्लामी उग्रवाद बढ़ा है, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। 12 फरवरी को होने वाले चुनावों को देखते हुए हिंसा बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आंतरिक हालात बिगड़ने के चलते अंतरिम सरकार बाहरी ताकतों पर दोष मढ़ने की कोशिश कर सकती है। हादी, जो इंकलाब मंचो के प्रवक्ता थे, जुलाई–अगस्त 2024 के बड़े जन आंदोलनों का प्रमुख चेहरा रहे थे। इन्हीं आंदोलनों के बाद शेख हसीना सरकार का पतन हुआ और अवामी लीग सत्ता से बाहर हुई। हादी आगामी 12 फरवरी के चुनाव में संसदीय उम्मीदवार भी थे।
ऐसे में हत्या की जांच के बजाय बार-बार भारत पर आरोप लगाने की बांग्लादेश की कोशिशों को राजनीतिक प्रोपेगेंडा के तौर पर देखा जा रहा है, जिसे भारत पहले ही तथ्यों के साथ खारिज कर चुका है।
Author: News Desk
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