संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में पाकिस्तान ने फिर से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान पर “उकसावे और राजनीतिक प्रचार” का आरोप लगाया।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में कहा, “यह निंदनीय लेकिन पूरी तरह से अपेक्षित है कि एक प्रतिनिधिमंडल ने अपने पुराने और आजमाए हुए तरीके का सहारा लेकर गलत जानकारी फैलाने की कोशिश की है।” उन्होंने पाकिस्तान के इस कदम को “शरारतपूर्ण उकसावे” की संज्ञा दी।
संयुक्त राष्ट्र में ‘बदलते परिवेश में शांति निर्माण में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान को ‘राइट ऑफ रिप्लाई’ का जवाब देते हुए कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनीतिक प्रचार करना अनुचित है।
पी हरीश ने आगे कहा, “हम जानते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं, विशेष रूप से हिंदू, सिख और ईसाई समुदायों की स्थिति बहुत खराब है।” पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के अनुसार, “हर साल करीब एक हजार महिलाओं का अपहरण, जबरन धर्मांतरण और शादी के लिए मजबूर किया जाता है।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भी जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए भारत से अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि “जैसे फिलिस्तीन के लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वैसे ही जम्मू-कश्मीर के लोग भी स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए एक सदी से संघर्ष कर रहे हैं।”
इसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी मिशन की प्रथम सचिव भाविका मंगलानंदन ने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा, “आज सुबह इस महासभा ने एक और धोखा देखा। आतंकवाद, मादक पदार्थों के व्यापार और अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए कुख्यात एक देश ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमला करने की हिम्मत दिखाई। इस देश का नाम पाकिस्तान है।”
उन्होंने आगे कहा, “ऐसे देश के लिए हिंसा पर टिप्पणी करना पूरी तरह से ढोंग है। यह और भी विडंबना है कि एक ऐसे देश के लिए, जहां चुनाव में धांधली होती है, लोकतांत्रिक राजनीतिक अधिकारों की बात करना हास्यास्पद है।”
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