नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार तेज होते ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है। अमरावती में एक रैली के दौरान योगी ने कांग्रेस नेता के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें उनके अतीत की एक त्रासदी की याद दिलाई।
मंगलवार को एक रैली में, योगी आदित्यनाथ ने खड़गे के “साधुओं के वेश में नेताओं” वाले बयान का जवाब देते हुए उनके बचपन की एक दुखद घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि खड़गे का गांव, जो हैदराबाद रियासत के तहत था, निजाम के ‘रजाकारों’ द्वारा जला दिया गया था। उस घटना में खड़गे की मां और परिवार के कई सदस्य मारे गए थे। योगी ने आरोप लगाया कि खड़गे ने कांग्रेस के वोट बैंक के कारण इस त्रासदी को कभी सार्वजनिक रूप से नहीं उठाया।
योगी ने कहा, “खड़गे जी, मुझसे नाराज़ होने की बजाय, हैदराबाद के निजाम पर गुस्सा निकालिए। रजाकारों ने आपके गांव को जलाया था, निर्दोष हिंदुओं का कत्ल किया था और आपके परिवार को जला दिया था। लेकिन खड़गे जी इस सच को कभी सामने नहीं लाते क्योंकि उन्हें डर है कि इससे मुस्लिम वोट खिसक सकते हैं। उन्होंने वोटों के लिए अपने परिवार की कुर्बानी को भुला दिया।”
योगी का यह बयान खड़गे के रविवार के उस बयान के बाद आया, जिसमें खड़गे ने योगी पर “बांटेंगे तो काटेंगे” जैसे विवादास्पद नारों के जरिए समाज में नफरत फैलाने का आरोप लगाया था। खड़गे ने कहा था, “कुछ नेता साधुओं के वेश में राजनीति करते हैं। अगर आप सन्यासी हैं, तो राजनीति से बाहर निकलें।”
खड़गे के इस बयान के जवाब में योगी ने अगस्त में दिए अपने एक बयान को फिर से दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था, “बांग्लादेश का हाल देखिए… ऐसी गलतियां यहां नहीं दोहराई जानी चाहिए। ‘बांटेंगे तो काटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे।”
हालांकि महाराष्ट्र चुनाव के संदर्भ में योगी का यह बयान भाजपा के सहयोगी दलों के साथ मेल नहीं खा रहा। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, “सभी जातियों को एक साथ आकर भारत और महाराष्ट्र के विकास के बारे में सोचना चाहिए। आपस में भेदभाव से विकास नहीं हो सकता।”
महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए चुनाव 20 नवंबर को होगा, और 23 नवंबर को मतगणना होगी।
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