नई दिल्ली:
शतरंज की दुनिया में इतिहास रचने वाले भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश को उनकी उपलब्धि पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व विश्व चैंपियन व्लादिमीर क्रैमनिक ने गुकेश और चीन के डिंग लिरेन के बीच हुए विश्व चैंपियनशिप मुकाबले की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए इसे “शतरंज के अंत” की संज्ञा दी। हालांकि, पांच बार के विश्व चैंपियन और गुकेश के मेंटर विश्वनाथन आनंद ने शुक्रवार को गुकेश से इन आलोचनाओं को अनदेखा करने की अपील की।
गुकेश ने रचा इतिहास
19 वर्षीय डी. गुकेश ने गुरुवार को सिंगापुर में खेले गए विश्व चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम मुकाबले में डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र में विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। उनकी इस जीत को जहां भारत और विश्वभर में सराहा जा रहा है, वहीं कुछ दिग्गज खिलाड़ियों ने मैच की गुणवत्ता पर निराशा जताई।
क्रैमनिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “कोई टिप्पणी नहीं। दुखद। जैसा शतरंज हम जानते हैं, उसका अंत।” एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, “आज तक किसी भी विश्व चैंपियनशिप का फैसला इतना बचकाना मूव करके नहीं हुआ।”
आलोचनाओं पर आनंद का जवाब
गुकेश के मेंटर और भारतीय शतरंज के दिग्गज आनंद ने कहा कि आलोचना सफलता के साथ आती है और इसे नजरअंदाज करना ही सबसे बेहतर तरीका है। उन्होंने पीटीआई से कहा, “मैं बहुत खुश हूं। कल मैंने इतिहास बनते देखा।”
आनंद ने आगे कहा, “हर मैच के साथ आलोचनाएं भी आती हैं। यह सामान्य है। लेकिन गुकेश की उपलब्धियां और उनका सफर – क्वालिफिकेशन, कैंडिडेट्स टूर्नामेंट, टोरंटो में शानदार प्रदर्शन – सब कुछ उनकी काबिलियत को दर्शाता है। आप विश्व चैंपियन बनें और आलोचना न हो, यह संभव नहीं है।”
मैच का निर्णायक पल
आनंद ने डिंग लिरेन की गलती को मैच का निर्णायक मोड़ बताया। उन्होंने कहा, “हममें से ज्यादातर ने इसे ड्रॉ मान लिया था। अगर डिंग ने अपना बिशप वापस खींच लिया होता, तो गुकेश को जीत हासिल करने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ता। लेकिन अचानक, डिंग ने गलती की और गुकेश ने जीत दर्ज की। यह अद्भुत था।”
उन्होंने गुकेश की मनोवैज्ञानिक मजबूती की प्रशंसा करते हुए कहा कि युवा खिलाड़ी ने आक्रामकता के बजाय धैर्य और रणनीति से काम लिया। “गुकेश के पास एक अतिरिक्त प्यादा था, और वह लगातार दबाव बना रहे थे। डिंग ने एक पल के लिए आराम किया और वही निर्णायक साबित हुआ।”
गुकेश की सफलता पर गर्व
आनंद ने कहा कि पिछले चार वर्षों में गुकेश के विकास को देखना उनके लिए गर्व का क्षण रहा है। “वेस्टब्रिज आनंद चेस अकादमी (WACA) में मैंने उनके सफर को करीब से देखा है। यह भारतीय शतरंज के लिए एक स्वर्णिम पीढ़ी है। गुकेश का सबसे युवा विश्व चैंपियन बनना बेहद खास है।”
उन्होंने भारतीय शतरंज के उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा करते हुए कहा, “यह पीढ़ी न केवल भारत, बल्कि विश्व शतरंज में अपना दबदबा बना रही है।”
गुकेश की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। हालांकि, इस सफर में उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन आनंद जैसे दिग्गज की सलाह निश्चित रूप से उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएगी।
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