नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब भारत ने संविधान अपनाया, तो इसके निर्माताओं ने देश की “विविधता में एकता” को समझा और उसका सम्मान किया, लेकिन कुछ लोगों ने इसे अपनाने की बजाय ज़हर बोने का काम किया।
संविधान अपनाने के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित बहस का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने इमरजेंसी का जिक्र किया और इसे कांग्रेस पर ऐसा दाग बताया जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान में संशोधन करने की शुरुआत पंडित नेहरू ने 1951 में की थी और उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने इसे आगे बढ़ाते हुए इमरजेंसी थोप दी।
भारत की यात्रा ‘असाधारण’
पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि 1948 में संविधान अपनाने के बाद से भारत की यात्रा “असाधारण” रही है। उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र की गहरी जड़ें दुनिया के लिए प्रेरणा रही हैं।
उन्होंने संविधान निर्माण में महिलाओं और बीआर आंबेडकर, पुरुषोत्तम दास टंडन, और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे महापुरुषों के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा, “भारत का संविधान महिलाओं को उनके अधिकार देने में अग्रणी रहा है। कई देशों ने इसे अपनाने में दशकों लगा दिए, लेकिन भारत ने उन्हें शुरुआत से ही मताधिकार दिया।”
“संविधान पर कांग्रेस का हमला”
प्रधानमंत्री ने कहा, “संविधान हमारे देश की एकता का आधार है। इसके निर्माताओं ने विविधता में एकता को महत्व दिया, लेकिन कुछ लोगों ने इस विविधता में ज़हर घोलने का काम किया ताकि भारत की एकता को चोट पहुंचाई जा सके।”
अनुच्छेद 370 का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह भारत की एकता में बाधा था और उनकी सरकार ने इसे खत्म कर अपने वादे को पूरा किया।
इमरजेंसी: कांग्रेस पर दाग
पीएम मोदी ने कहा, “जब संविधान के 25 साल पूरे हो रहे थे, उसी समय देश में इमरजेंसी लगाकर संविधान पर बड़ा हमला किया गया। देश को जेल बना दिया गया, नागरिक अधिकार छीन लिए गए और प्रेस की आजादी को कुचल दिया गया। यह कांग्रेस का ऐसा पाप है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।”
“नेहरू से राहुल तक एक परंपरा”
प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के साथ छेड़छाड़ की शुरुआत नेहरू ने की, इंदिरा गांधी ने इसे आगे बढ़ाया और उनके बेटे राजीव गांधी ने शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर संविधान का अपमान किया।
उन्होंने कहा, “यह परंपरा आज की पीढ़ी तक चली आ रही है। गांधी परिवार की वर्तमान पीढ़ी भी संविधान पर हमला करने की इस विरासत को आगे बढ़ा रही है।”
सोनिया गांधी पर हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक गैर-निर्वाचित व्यक्ति को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से ऊपर रखा गया। राहुल गांधी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने मनमोहन सिंह की सरकार के एक अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़कर संविधान का अपमान किया।
“सबका साथ, सबका विकास”
प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उनकी सभी नीतियां समाज के उस वर्ग पर केंद्रित हैं जिसे संसाधनों से वंचित रखा गया। उन्होंने कहा, “जिन्हें कोई नहीं पूछता, उन्हें मोदी पूछता है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ हमारे लिए सिर्फ नारा नहीं, बल्कि आस्था है।”
11 प्रस्तावों की पेशकश
प्रधानमंत्री ने सदन के सामने 11 प्रस्ताव रखे, जिनमें आरक्षण की सुरक्षा सुनिश्चित करना, धर्म के आधार पर आरक्षण को रोकना, सभी क्षेत्रों और समुदायों का समान विकास और राजनीति से वंशवाद को खत्म करना शामिल है। उन्होंने कहा, “हर नागरिक और सरकार को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।”
पीएम मोदी का यह भाषण संविधान, लोकतंत्र और देश की एकता पर केंद्रित था, जिसमें कांग्रेस की नीतियों और कार्यों की कड़ी आलोचना की गई।
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