नई दिल्ली: Unnao Rape Case एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में है। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोषी पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सज़ा निलंबित किए जाने के फैसले के बाद उन्नाव रेप पीड़िता और उनकी बुज़ुर्ग मां ने राजधानी में तीसरी बार विरोध प्रदर्शन किया। पीड़िता ने न्याय की मांग करते हुए कहा कि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है।
दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनवाई करेगा। इस सुनवाई को पीड़िता और उनके समर्थक न्याय की आख़िरी उम्मीद के रूप में देख रहे हैं, खासकर ऐसे समय में जब उन्हें अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर गंभीर आशंकाएं हैं।
कुलदीप सिंह सेंगर को जून 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में नाबालिग से बलात्कार के मामले में दिसंबर 2019 में उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी। दोष सिद्ध होने के बाद उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि, पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दी गई 10 साल की सज़ा के चलते सेंगर फिलहाल जेल में ही बंद हैं।
23 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी उम्रकैद की सज़ा निलंबित कर दी कि वे सात साल से अधिक समय जेल में काट चुके हैं। अदालत ने कड़ी शर्तें भी लगाईं, जिनमें 15 लाख रुपये का निजी मुचलका, पीड़िता के दिल्ली स्थित निवास से 5 किलोमीटर के दायरे में प्रवेश पर रोक और पीड़िता या उसके परिवार को धमकाने पर सख्त मनाही शामिल है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 26 दिसंबर को इस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। इसके अलावा अधिवक्ता अंजली पटेल और पूजा शिल्पकर द्वारा भी अलग याचिका दायर की गई है। इन सभी याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी।
इस बीच जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेंस एसोसिएशन (AIPWA) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों सहित कई संगठनों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों के बैनरों पर “उन्नाव की पीड़िता के साथ एकजुटता”, “रेप कल्चर खत्म करो” और “कुलदीप सेंगर की ज़मानत रद्द करो” जैसे नारे लिखे थे।
प्रदर्शन के दौरान एक संक्षिप्त टकराव भी देखने को मिला, जब सेंगर का समर्थन कर रहे एक समूह ने विरोध कर रहे लोगों से बहस की। हालांकि, पुलिस ने समय रहते स्थिति को नियंत्रित कर लिया।
पीड़िता ने कहा, “मुझे सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है कि वह मुझे न्याय देगा। मैं हर उस महिला की आवाज़ उठा रही हूं जिसे अन्याय झेलना पड़ा है। मेरे पिता की हत्या हुई, मेरे परिवार को खत्म कर दिया गया, मेरे बच्चों की सुरक्षा खतरे में है।”
पीड़िता की मां ने भावुक होते हुए कहा कि न्याय की लड़ाई में उन्होंने अपना पूरा परिवार खो दिया है, लेकिन अब भी उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से उम्मीद है।
प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि देश में बलात्कार के आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है, जबकि पीड़िताओं को न्याय के लिए सड़क पर उतरना पड़ता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आदेश को रद्द कर पीड़िता और उसके परिवार को पूर्ण सुरक्षा देने की मांग की।
2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को निष्पक्ष सुनवाई के लिए दिल्ली स्थानांतरित किया गया था। अब एक बार फिर देश की निगाहें शीर्ष अदालत पर टिकी हैं, जहां से यह उम्मीद की जा रही है कि पीड़िता की सुरक्षा और न्याय को प्राथमिकता दी जाएगी, न कि दोषी को राहत।
Author: News Desk
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