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नासा की वेब टेलीस्कोप ने प्लूटो के सबसे बड़े चंद्रमा चारोन पर कार्बन डाइऑक्साइड की खोज की

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नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने प्लूटो के सबसे बड़े चंद्रमा चारोन पर एक महत्वपूर्ण खोज की है। पहली बार, वैज्ञानिकों ने चारोन की बर्फीली सतह पर कार्बन डाइऑक्साइड का पता लगाया है। यह जानकारी नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार सामने आई है। इस शोध का नेतृत्व साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था, जिसमें टीम ने चारोन पर कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के निशान पाए, जो प्लूटो के आकार का लगभग आधा है। यह महत्वपूर्ण खोज पहले के उन निष्कर्षों पर आधारित है, जिनमें चारोन पर बर्फ, अमोनिया और जैविक यौगिकों की मौजूदगी पाई गई थी।

अध्ययन में यह बताया गया है कि जब बर्फ पर आवेशित कणों का प्रभाव पड़ता है तो हाइड्रोजन पेरोक्साइड का निर्माण होता है, जिससे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के परमाणु मिलते हैं। यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील यौगिक सामान्य रूप से ब्लीच और कीटाणुनाशकों में उपयोग किया जाता है। अध्ययन के अनुसार, इस यौगिक की मौजूदगी इस बात का संकेत देती है कि चारोन की बर्फीली सतह पर दूरस्थ सूर्य की पराबैंगनी किरणों और सौर हवा का प्रभाव पड़ रहा है। इस खोज से चारोन की रासायनिक प्रक्रियाओं और उसकी संरचना के बारे में नई जानकारी मिली है, जो प्लूटो प्रणाली के रहस्यमय और बर्फीले परिदृश्य को समझने में मदद करेगी।

अध्ययन की मुख्य लेखिका सिल्विया प्रोटोपापा ने कहा, “कार्बन डाइऑक्साइड की खोज हमारी उम्मीदों की पुष्टि थी, लेकिन चारोन पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड का पता लगना अप्रत्याशित था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि हमें इसकी सतह पर इसका कोई सबूत मिलेगा।”

प्रोटोपापा ने आगे कहा, “सौर मंडल के बाहरी हिस्से का हर छोटा पिंड एक बड़े पहेली का हिस्सा है, जिसे वैज्ञानिक जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।”

प्लूटो, जिसे एक समय सौर मंडल का नौवां और अंतिम ग्रह माना जाता था, को 2006 में पुनर्वर्गीकृत किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने ग्रह की एक औपचारिक परिभाषा स्थापित की, जिसके परिणामस्वरूप प्लूटो को एक बौने ग्रह का दर्जा दिया गया।

प्लूटो के चंद्रमा चारोन के बारे में:

चारोन की खोज पहली बार 1978 में अमेरिकी नौसेना वेधशाला, फ्लैगस्टाफ, एरिज़ोना में जेम्स क्रिस्टी और रॉबर्ट हैरिंगटन द्वारा की गई थी। यह चंद्रमा प्लूटो के बहुत समान है, जिसके कारण इसे “प्लूटो का छोटा जुड़वां” कहा जाता है। चारोन का व्यास लगभग 1,200 किलोमीटर है, जो प्लूटो के आधे आकार का है, और इसे सौर मंडल में अपने मूल ग्रह के सापेक्ष सबसे बड़ा ज्ञात उपग्रह माना जाता है।

चारोन और प्लूटो की कक्षीय गति विशेष है। जहां चारोन प्लूटो की परिक्रमा करता है, वहीं यह जोड़ी एक केंद्रीय बिंदु के चारों ओर घूमती है, जो एक डबल बौने ग्रह प्रणाली जैसा दिखता है। पृथ्वी और चंद्रमा की प्रणाली से इसका अंतर यह है कि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर बिना उसकी स्थिति को प्रभावित किए परिक्रमा करता है। चारोन के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण प्लूटो अपनी कक्षा को साफ़ करने में असमर्थ रहा, जिससे उसे बौने ग्रह का दर्जा मिला।

News Desk
Author: News Desk

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