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जुलाई-सितंबर में भारत की GDP वृद्धि 5.4% तक धीमी, दो वर्षों में सबसे निचला स्तर

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जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की GDP वृद्धि 5.4% तक गिर गई, जो पिछले दो वर्षों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले, वित्तीय वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2022) में GDP वृद्धि 4.3% दर्ज की गई थी।

मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में गिरावट प्रमुख कारण
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में आर्थिक मंदी का मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर का खराब प्रदर्शन रहा।

हालांकि, इस धीमी वृद्धि के बावजूद भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहा। चीन की GDP वृद्धि इसी तिमाही में 4.6% दर्ज की गई।

कृषि क्षेत्र में सुधार, मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग में गिरावट

  • कृषि क्षेत्र: सकल मूल्य वर्धन (GVA) में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5% रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.7% थी।
  • मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र: इस तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की GVA 2.2% पर आ गई, जबकि पिछले साल यह 14.3% थी।
  • माइनिंग और क्वारिंग: माइनिंग और क्वारिंग क्षेत्र में विकास दर 0.01% रही, जबकि पिछले साल यह 11.1% थी।
  • वित्तीय और पेशेवर सेवाएं: इस क्षेत्र में GVA वृद्धि 6.7% रही, जो पिछले साल 6.2% थी।
  • बिजली, गैस और जल आपूर्ति: इस क्षेत्र की वृद्धि दर 3.3% रही, जो पिछले साल 10.5% थी।
  • निर्माण क्षेत्र: निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 7.7% रही, जो पिछले साल 13.6% थी।

सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े

  • वास्तविक GDP (स्थिर कीमतों पर): जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही में ₹44.10 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल ₹41.86 लाख करोड़ थी। यह 5.4% की वृद्धि दर्शाता है।
  • नाममात्र GDP (वर्तमान कीमतों पर): ₹76.60 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल ₹70.90 लाख करोड़ थी। यह 8% की वृद्धि है।

आधे वर्ष के आंकड़े
अप्रैल-सितंबर 2024-25 की पहली छमाही में, वास्तविक GDP ₹87.74 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल ₹82.77 लाख करोड़ थी। यह 6% की वृद्धि को दर्शाता है।

वित्तीय घाटा 46.5% तक पहुंचा
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में केंद्र का वित्तीय घाटा वार्षिक लक्ष्य का 46.5% रहा। यह ₹7,50,824 करोड़ था, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में यह 45% था।

इस आर्थिक मंदी के बीच, भारत की आर्थिक नीति और भविष्य की योजनाओं पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

News Desk
Author: News Desk

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