राज्य में धार्मिक आस्था से जुड़े एक बड़े विवाद ने जोर पकड़ लिया है, जब यह दावा किया गया कि मंदिर में इस्तेमाल होने वाले प्रसाद या अन्य सामग्री में पशु वसा की मौजूदगी पाई गई है। इस मामले को लेकर जनता में रोष व्याप्त है। राज्य के एक वरिष्ठ नेता ने इसे “चौंकाने वाला और घृणास्पद” बताते हुए कहा, “यह देवता पूरे राज्य के लोगों के लिए पवित्र और विशेष हैं। एनडीडीबी ने खुद पुष्टि की है कि प्रसाद में पशु वसा की मौजूदगी है। सरकार इस मामले की तह तक जाएगी और जो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह सिर्फ शुरुआत है, और आगे और भी खुलासे होंगे।”
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक गलियारे में भी हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने इस मुद्दे को उठाते हुए सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी सरकार पर धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। टीडीपी ने कहा कि यह मामला न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है बल्कि यह राज्य में करोड़ों भक्तों की आस्था पर भी सवाल खड़ा करता है।
हालांकि, सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी ने इन आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण” और “राजनीतिक साजिश” करार दिया है। वाईएसआरसीपी का कहना है कि टीडीपी सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए झूठे दावे कर रही है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ही हैं जिन्होंने ऐसे आपत्तिजनक बयान देकर मंदिर और भक्तों की पवित्रता को ठेस पहुंचाई है। वाईएसआरसीपी के प्रवक्ता ने कहा, “नायडू ने इस मामले को गलत तरीके से पेश कर करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। इस तरह के दावे केवल राजनीतिक लाभ के लिए किए जा रहे हैं, जिनका कोई आधार नहीं है।”
इस विवाद के बीच, जनता में गुस्सा और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। राज्य में कई धार्मिक संगठनों ने भी सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इस मामले में सच्चाई पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इस घटना ने राज्य में धार्मिक आस्था और राजनीति के बीच टकराव को और गहरा कर दिया है, जिसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
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