पत्रकार रामगोपाल जाट की फेसबुक वॉल से साभार:
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन पहले रूस गए तो दुनिया चौंक गईं, अब यूक्रेन गए हैं तो दुनिया हैरान है। रूस में जाने पर दुनिया चौंकने का कारण तो अमेरिका और यूरोप की नाराजगी होना माना गया, अब यूक्रेन गए हैं तो रूस के नाराज होने के दावे करने थे, जो मजबूरन नहीं कर पाए हैं। उल्टा समाचार यह आया कि रूस ने अपने टॉप कमांडर को निर्देश दिया कि जब तक मोदी यूक्रेन में रहें, तब तक युद्ध विराम रखें। इस समाचार की पुष्टि तो नहीं कर पा रहा हूं, लेकिन दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं है, जो दुनिया को खुलेआम रूस और यूक्रेन, दोनों युद्धग्रस्त देशों से दोस्ती दिखा सके।
मोदी ने साफ कहा कि भारत लंबे समय से दुनिया के सभी देशों से दूरी बनाए रखने की नीति अपनाई, लेकिन बीते 10 साल से भारत सभी देशों से समीपता की नीति पर चल रहा है। सही बात है! अरब देशों से लेकर यूरोप, रूस, अमेरिका, जापान जैसे तमाम देशों के साथ भारत खुले मंच पर अपने रिश्ते दिखा रहा है, अपना काम कर रहा है। अमेरिका आरम्भ में थोड़ा परेशान रहा, लेकिन भारत ने उसको बता दिया कि उसकी अगली नीति यही रहने वाली है, आपको भी इसी नीति के साथ भारत से दोस्ती रखनी होगी। जब मोदी रूस गए तो यूक्रेन को पता था कि भारत जो कर रहा है, उसको कोई रोक नहीं सकता। मोदी अब यूक्रेन गए हैं तो रूस को पता है कि भारत का यह द्विपक्षीय मामला है, उसे न रोका जा सकता है, न टोका जा सकता है। अमेरिका भी जानता है कि भारत का रूस से रिश्ता, यूक्रेन से वार्ता, जापान से मित्रता, इस्राइल से दोस्ती जगजाहिर है। इसलिए अमेरिका भारत के खिलाफ अब तक कुछ भी नहीं कर पा रहा है। अरब देशों से दोस्ती है, और उनको पता है कि भारत की इस्राइल के साथ गहरी मित्रता है। इस्राइल जानता है कि मुस्लिम देशों के साथ मोदी सरकार की दोस्ती कोई तोड़ नहीं सकता। कुल मिलाकर बात यह है कि भारत नेहरू के जमाने से ‘गुट निरपेक्ष’ नीति अपनाकर खास फायदा नहीं उठा पाया, अब मोदी सरकार ने ‘सापेक्ष दोस्ती’ वाली नीति पर काम किया है। दुनिया के 100 से अधिक देशों के साथ भारत ने गहरे संबंध स्थापित कर लिए हैं।
दुनिया में भारत पहला देश है, जो संकट के समय सबसे पहले मानवीय मदद करता है। कारोबार भी अपने लाभ के हिसाब से देश चुनकर करता है। यूरोप नाराज, अमेरिका क्रोधित, लेकिन भारत अपने लाभ को प्राथमिकता देकर रूस से सस्ता ईंधन खरीद रहा है। खास बात यह है कि वही कच्चा तेल, शोधन कर यूरोप को बेच रहा है। यूरोपीय देश मूर्ख बने हुए हैं। रूस से सस्ता लेते नहीं, भारत मुनाफा कमाकर यूरोप को बेच रहा है, उनको खरीदना पड़ रहा है। मोदी सरकार ने दो विदेश मंत्री बनाए, दोनों की जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है। चीन जैसे देश भी आगे चलकर भारत से दोस्ती करेंगे तो पाकिस्तान जैसों को हाथ जोड़कर दोस्ती करने की गुहार लगानी होगी। दुनिया के टॉप लीडर बोल चुके हैं कि रूस व यूक्रेन का युद्ध भारत ही रुकवा सकता है। यानी अमेरिका जैसा महाशक्ति और चीन जैसा ताकतवर देश भी इस युद्ध को रोकने में विफल हैं। दुनिया को उम्मीद ‘मोदी के भारत’ से है। युद्ध जब भी खत्म होगा, यह तय है कि रोकने का कारण भारत ही बनेगा। पाकिस्तान में सर्जिकल, एयर स्ट्राइक और चीन से संबंध विराम करके दुनिया को भारत ने युद्ध की भाषा और प्रेम का संदेश साफ दे रखा है। जो समय रहते समझेगा, वो आगे बढ़ता जाएगा, बाकी पाकिस्तान जैसा निकृष्ट देश तो जाने कब पड़ोस का फायदा ले पाएगा।
लेखक सियासी भारत डॉट कॉम के संपादक
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