भारत के विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उस कदम की कड़ी आलोचना की है, जिसमें एस जयशंकर के इंटरव्यू का प्रसारण करने वाले ऑस्ट्रेलियाई न्यूज़ आउटलेट के सोशल मीडिया पेजों को कनाडा में ब्लॉक कर दिया गया। मंत्रालय ने इसे कनाडा की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दोहरे मापदंड का उदाहरण बताया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे के दौरान ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज से मुलाकात की और विदेश मंत्री पेनी वोंग के साथ 15वें विदेश मंत्रियों के संवाद की सह-अध्यक्षता की। इस दौरान उनका इंटरव्यू और प्रेस कॉन्फ्रेंस ऑस्ट्रेलियाई आउटलेट ‘ऑस्ट्रेलिया टुडे’ द्वारा प्रसारित किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस और इंटरव्यू के कुछ घंटों बाद ही कनाडा में आउटलेट के सोशल मीडिया हैंडल्स को ब्लॉक कर दिया गया।
इस मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने कहा, “हम समझते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण डायस्पोरा आउटलेट है, और इसके सोशल मीडिया हैंडल कनाडा में दर्शकों के लिए अब उपलब्ध नहीं हैं। यह कदम हमें अजीब लगता है और अभिव्यक्ति की आजादी पर कनाडा का दोहरा मापदंड दर्शाता है।” उन्होंने यह भी बताया कि विदेश मंत्री ने अपने मीडिया इंटरैक्शन में कनाडा के ‘बिना सबूत आरोप लगाने’, भारतीय राजनयिकों की जासूसी और कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को दिए जा रहे राजनीतिक समर्थन का भी जिक्र किया था।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भारत ने कनाडाई सरकार पर कुछ भारतीय राजनयिकों की ऑडियो और वीडियो निगरानी करने का आरोप लगाया था। भारत ने इसे राजनयिक नियमों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए कनाडा सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था।
प्रवक्ता जयसवाल ने यह भी पुष्टि की कि सुरक्षा गारंटी न मिलने के कारण टोरंटो में कुछ वाणिज्य दूतावास कैंप रद्द कर दिए गए हैं। यह घोषणा ब्रैम्पटन के एक मंदिर पर हुए हमले के कुछ दिनों बाद की गई, जहां 3 नवंबर को एक वाणिज्य दूतावास कैंप आयोजित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले की निंदा करते हुए भारतीय राजनयिकों को डराने के प्रयासों की आलोचना की थी।
भारत और कनाडा के बीच संबंध पिछले साल से तनावपूर्ण बने हुए हैं, जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने “भारतीय एजेंटों” पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है और कनाडा से सबूत प्रस्तुत करने की मांग की है। पिछले महीने, इस मामले में भारतीय उच्चायुक्त को “शक के घेरे में व्यक्ति” करार दिए जाने के बाद भारत ने कनाडाई अधिकारियों को निष्कासित किया और हाई कमिश्नर समेत कुछ अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया।
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