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2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लिए भारत को 10 से अधिक पदक जीतना जरूरी: पीआर श्रीजेश

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एचटीएलएस 2024 में बोले श्रीजेश – सिर्फ मेजबानी काफी नहीं, पदक जीतने की तैयारी भी होनी चाहिए

नई दिल्ली: दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पीआर श्रीजेश का मानना है कि अगर भारत 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी करना चाहता है, तो उसे अपनी पदक संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करनी होगी। 2024 के पेरिस ओलंपिक में छह पदक जीतने के बाद, भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए ‘आशय पत्र’ सौंपा।

हालांकि, श्रीजेश ने हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट (एचटीएलएस) 2024 में कहा कि ओलंपिक की मेजबानी का सपना पूरा करने के लिए भारत को खेलों में और मजबूत प्रदर्शन करना होगा। उन्होंने कहा, “वित्तीय और तकनीकी रूप से हम ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी करने में सक्षम हैं। लेकिन सवाल यह है कि यह आयोजन हमारे खिलाड़ियों को कितना लाभ पहुंचाएगा? कितने पदक जीतेंगे? क्या हम हर खेल में भाग लेने में सक्षम हैं?”

पेरिस में प्रदर्शन ने उठाए सवाल
2021 के टोक्यो ओलंपिक में भारत ने रिकॉर्ड सात पदक जीते थे, लेकिन 2024 के पेरिस ओलंपिक में यह संख्या घटकर छह रह गई। हालांकि, इस बार भी स्वर्ण पदक जीतने में असफलता भारत के लिए एक बड़ा दर्द बना रहा। श्रीजेश ने कहा, “ओलंपिक की मेजबानी आसान हो सकती है, लेकिन पदक जीतना बहुत मुश्किल होगा। अगर हम मेजबानी के बावजूद दोहरे अंकों में भी पदक नहीं जीत पाए, तो यह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण होगा।”

सपनों को बड़ा करने की जरूरत
श्रीजेश ने भारतीय खेल प्रणाली में सुधार के लिए सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर खेलों का चयन करना और बच्चों को छोटी उम्र से प्रशिक्षित करना जरूरी है। चीन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “चीन जिस तरह से बच्चों के जेनेटिक टेस्ट करके उन्हें खेलों में वर्गीकृत करता है, हमें भी वही करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में हर राज्य की अपनी अलग खेल संस्कृति है, जिसका फायदा उठाना चाहिए। “केरल फुटबॉल के लिए जाना जाता है, वहीं पंजाब हॉकी का गढ़ है। हमें इन क्षेत्रों की विशेषताओं के अनुसार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।”

खेल संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर
श्रीजेश ने कहा कि खेलों को स्कूल स्तर से ही परिवारों तक फैलाने की जरूरत है। “हमारे देश में खेलों को अक्सर शौक के रूप में देखा जाता है। हमें परिवारों को यह समझाना होगा कि खेल करियर का एक अच्छा विकल्प हो सकता है।”

व्यक्तिगत अनुभव साझा किए
श्रीजेश ने टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में हॉकी में भारत के ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि ओलंपिक में अपने देश के सामने खेलना एक अलग तरह का दबाव होता है। “हमने टोक्यो में जो किया, उसे पेरिस में दोहराया, लेकिन हमें अब अगले स्तर पर सोचना होगा।”

2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए भारत की तैयारी को लेकर चर्चा जारी है। लेकिन श्रीजेश जैसे खिलाड़ियों का मानना है कि इस सपने को साकार करने के लिए पदक जीतने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

News Desk
Author: News Desk

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