दिल्ली हाई कोर्ट ने ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे की जांच CBI को दे दी है. आज यानी शुक्रवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए एमसीडी और दिल्ली पुलिस की जमकर फटकार भी लगाई. कोर्ट ने कहा मामले में कई बड़े अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं. ऐसे में इसकी गंभीरता को देखते हुए इस घटना की जांच सीबीआई को सौंपी जा रही है.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि घटना की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जनता को जांच के संबंध में कोई संदेह नहीं रहे, यह कोर्ट जांच को CBI को ट्रांसफर करती है. केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी (CVC) को निर्देश दिया जाता है कि वह CBI जांच पर निगरानी रखने के लिए एक सीनियर अधिकारी की नियुक्ति करें ताकि समयबद्ध तरीके से जांच पूरी हो.
- अवैध निर्माण तुरंत हटाएं: कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि MCD कमिश्नर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नालियां चालू हों और अगर उनकी क्षमता बढ़ानी है, तो इसे व्यवस्थित तरीके से किया जाना चाहिए. क्षेत्र में अतिक्रमण के साथ-साथ बरसात के पानी की निकासी नालियों पर निर्माण सहित अवैध निर्माण को तुरंत हटाया जाना चाहिए.
- पूरे सिस्टम पर उठाया सवाल: कोर्ट ने कहा कि इस कोर्ट का मानना है कि बड़ी तस्वीर को देखने की जरूरत है. दिल्ली शहर में एक बुनियादी समस्या यह है कि भौतिक, वित्तीय और प्रशासनिक बुनियादी ढांचे सभी पुराने हो चुके हैं और वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं. दिल्ली की मुख्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए नागरिक एजेंसियों के पास कोई धनराशि नहीं है.
- वित्तीय सेहत ठीक नहीं: कोर्ट ने कहा कि 3 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाली दिल्ली को ज्यादा मजबूत वित्तीय और प्रशासनिक ढांचे की जरूरत है. सब्सिडी योजनाओं की वजह से दिल्ली में पलायन बढ़ रहा है और इसकी आबादी भी बढ़ रही है. दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) और MCD की वित्तीय सेहत ठीक नहीं है. MCD अपने कर्मचारियों को महीनों तक वेतन देने में विफल रही और ऐसा अदालत की अवमानना की धमकी के बाद ही किया गया.
- रखरखाव भी ठीक नहीं: दिल्ली में भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण तकरीबन 75 साल पहले हुआ था. बुनियादी ढांचा न केवल अपर्याप्त है, बल्कि इसका रखरखाव भी ठीक से नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा कि हाल की घटनाओं से पता चलता है कि कोर्ट के आदेशों का क्रियान्वयन नहीं किया जाता है तथा उन्हें उपेक्षित समझा जाता है.
- कैबिनेट बैठक कब हुई बताएं: सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि पिछली कैबिनेट की बैठक कब हुई थी और अगली कैबिनेट की बैठक कब है? पिछले 6 महीने से कैबिनेट की बैठक नहीं हुई है. कोई प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हो रहा है. कल्पना कीजिए कि हम यहां किस प्रशासनिक अराजकता से निपट रहे हैं. हम इस आदेश को निर्देशित करने जा रहे हैं कि पिछली कैबिनेट बैठक कब हुई थी और अगली बैठक कब है? हमें जल्दी से बताएं.
- मेहरबानी आपने पानी का चालान नहीं काटा: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर तंज कसते हुए कहा कि ये बहुत मेहरबानी की बात है कि आपने बरसात के पानी का चालान नहीं काटा जैसे आपने उस SUV गाड़ी के ड्राइवर को गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस के वकील जैन ने कहा कि हम स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हैं. अगर इस समय जांच को CBI को ट्रांसफर किया जाता है, तो इससे जांच को और नुकसान होगा.
- अधिकार क्षेत्र का टकराव है: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि MCD के वकील ने बताया कि 1 अधिकारी को बर्खास्त किया गया है और 6 अधिकारियों को निलंबित किया गया है. नालियों और सीवर के संबंध में दिल्ली जल बोर्ड और MCD के बीच अधिकार क्षेत्र का टकराव है.
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