नई दिल्ली:
मंगलवार सुबह तिब्बत में माउंट एवरेस्ट के पास आए एक शक्तिशाली भूकंप ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा में कम से कम 95 लोगों की मौत हो गई, जबकि 130 से अधिक लोग घायल हुए हैं। भूकंप की तीव्रता चीन के अधिकारियों ने 6.8 मापी, जबकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने इसे 7.1 बताया। यह भूकंप सुबह 9:05 बजे तिंगरी काउंटी में आया, जो एवरेस्ट से लगभग 80 किमी उत्तर में स्थित है।
भूकंप का कारण: टेक्टोनिक प्लेटों का टकराव
भूकंप का मुख्य कारण ल्हासा ब्लॉक में आया दरार है, जो टेक्टोनिक तनाव का एक प्रमुख क्षेत्र है। यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण लगातार भूकंपीय गतिविधियों का सामना करता है। यह प्रक्रिया पिछले 60 मिलियन वर्षों से हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण कर रही है।
पिछले कुछ दशकों में तिब्बत में कई बड़े भूकंप आए हैं, जिनमें 1950 का 8.6 तीव्रता वाला भूकंप भी शामिल है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय प्लेट, जो यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, तिब्बत के नीचे धीरे-धीरे अलग हो रही है। इस “स्लैब टियर” प्रक्रिया में भारतीय प्लेट का ऊपरी हिस्सा इसके घने निचले हिस्से से अलग हो रहा है, जिससे क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियों में वृद्धि हो रही है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रक्रिया तिब्बत को दो हिस्सों में विभाजित कर सकती है, हालांकि सतह पर इसका कोई स्पष्ट निशान दिखाई नहीं देगा। यह दरार पृथ्वी की गहरी सतह के नीचे होती है और क्षेत्र में भूकंप गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है।
हिमालय: भूकंप का संवेदनशील क्षेत्र
हिमालय दुनिया के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है, जहां अतीत में कई बड़े भूकंप हुए हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि भारतीय और यूरेशियन प्लेटों का यह टकराव क्षेत्र में भूकंप के खतरे को और बढ़ा सकता है।
क्षेत्र में झटके और नुकसान
भूकंप के झटके नेपाल, भूटान और भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए। नेपाल के काठमांडू में, जो तिब्बत के केंद्र से 400 किमी दूर है, जोरदार झटके महसूस किए गए, हालांकि वहां कोई हताहत की सूचना नहीं है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बचाव कार्यों को तेज करने और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए सभी संभव प्रयास करने का आह्वान किया है। आपातकालीन टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं, जबकि क्षेत्र में लगातार झटके महसूस किए जा रहे हैं। चीन ने माउंट एवरेस्ट के अपने हिस्से के पर्यटन क्षेत्रों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।
पिछले भूकंपों की याद दिलाई
तिब्बत में आए इस भूकंप ने 1950 के 8.6 तीव्रता वाले भूकंप की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें भी भारी तबाही हुई थी। वैज्ञानिक अब क्षेत्र की भूगर्भीय गतिविधियों, गहरे स्तर पर आए भूकंपों और गैस उत्सर्जन का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि इस प्रकार की आपदाओं के प्रभाव को समझा और कम किया जा सके।
भूकंप के इस ताजा झटके ने हिमालय क्षेत्र में बढ़ते भूकंपीय जोखिमों पर एक बार फिर से ध्यान केंद्रित किया है।
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